मंगलवार, 7 अप्रैल 2020

क्या है (52768) 1998 ओआर2? What is 52768 asteroid 1998 OR2?


29 अप्रैल को क्षुद्रग्रह टकराने जैसा कुछ नहीं होगा।
आजकल कुछ ऐसी अफवाहें व आशंकायें  व्यक्त की जा रही हैं कि 29 अप्रैल
2020 को पृथ्वी से एक क्षुद्रग्रह टकराएगा जिससे पृथ्वी  पर जीवन समाप्त हो जाएगा।  शौकिया खगोलविद व विश्व भर की वेधशालाओं में अंतरिक्ष वैज्ञानिक  हमेशा अंतरिक्ष का अवलोकन करते रहते हैं। जिससे वह सौरमंडल में गति कर रहे असंख्य क्षुद्रग्रहों, पुच्छल तारों व अन्य आकाशिय हलचल पर निरन्तर नजर रखते हैं।  मंगल ग्रह और बृहस्पति ग्रह  की ग्रहीय कक्षाओं के बीच एक विशाल क्षुद्रग्रह घेरा (ऐस्टरौएड बेल्ट) हमारे सोलर सिस्टम का एक ऐसा क्षेत्र है जिसमे हज़ारों-लाखों क्षुद्रग्रह (ऐस्टरौएड) सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं। इस पट्टी में से कुछ बड़े क्षुद्रग्रह कभी कभी बृहस्पति ग्रह की गुरुत्व शक्ति से मार्ग भ्रमित हो जाते हैं जिससे उनका निर्धारित मार्ग प्रभावित होता है। ऐसा ही एक क्षुद्रग्रह है जिसका नाम नाम जिसका नाम नाम (52768) 1998 ओआर2 है कि पृथ्वी से टकराने की संभावना कई वर्षों से लगाई जा रही थी परंतु वैज्ञानिक गणनाओं के अनुसार वह पृथ्वी से 63 लाख किलोमीटर दूरी से गुजरेगा। यह दूरी बहुत लंबी है। ऐसे में इस ग्रह की पृथ्वी से टकराने की कोई संभावना नहीं है। इस शुद्र ग्रह (52768) 1998 ओआर2 की खोज 1998 में हुई थी यह सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 1344 दिन लगाता है। यह बहुत विशाल है। इसका आकार 1.8 किलोमीटर से 4.1 किलोमीटर है। अंतरिक्ष किसी महानगरीय सड़क जैसा नही होता है कि जिसमे वाहन पास-पास चलते हैं ओर आपस मे भिड़ जाते हैं। आकाशिय पिंडों के बीच लाखों- करोड़ों किलोमीटर की दूरियां होती हैं। मनुष्य सभ्यता के होशहवास में इतने विशाल क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने का कोई रिकॉर्ड नहीं है लेकिन पृथ्वी पर बहुत सी इस तरह की झीलें हैं जो क्रेटर झीलें कहलाती है। अनुमान है कि यह क्षुद्रग्रहों की टक्कर से ही बनी हैं। चंद्रमा की सतह पर भी बहुत से क्रेटर देखने को मिलते हैं जो निश्चित ही क्षुद्रग्रहों के टकराने से बने हैं यदि कोई उल्का (क्षुद्रग्रह के मुकाबले बहुत छोटा) पृथ्वी के वायुमंडल प्रवेश करता भी है तो वह वायुमंडल के साथ घर्षण बल के कारण जलने लगता है और उसका आकार पृथ्वी की सतह पर टकराने तक बहुत छोटा रह जाता है। इन्हें उल्का पिंड कहते हैं। यदि कोई क्षुद्रग्रह पृथ्वी से टकराता है तो टक्कर के कारण बहुत मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होगी जिससे कि विशाल भू-कंपन उत्पन्न होगा। परंतु इस क्षुद्रग्रह (52768) 1998 ओआर2 के मामले में ऐसी कोई डरने घबराने वाली बात नहीं है क्योंकि यह पृथ्वी की बहुत दूरी से गुजरेगा। इसलिए 29 अप्रैल की रात चैन से सोना है। अभी फिलहाल पृथ्वी पर करोना वायरस रूपी संकट का हमें डटकर मुकाबला करना है बस उसी के निपटान में अपना योगदान दीजिये।


शनिवार, 22 फ़रवरी 2020

क्या होता है शूटिंग स्टार/उल्का बौछार? What is Shooting Star/Meteor Shower?


क्या होता है शूटिंग स्टार/उल्का बौछार?What is Shooting Star/Meteor Shower?
आकाश में एक रोशनी की लकीर सभी को आकर्षित करती है। बहुत से लोग बच्चे उसे देख कर मनोकामना पूरी हो जाना मांगते हैं।
असल मे यह अंतरिक्ष से धूल के छोटे-बड़े कण/टुकड़ों के कारण होते हैं जो पृथ्वी की सतह से 65 से 135 किमी ऊपर जलते हैं। क्योंकि वे ऊपरी वायुमंडल में तीव्र गति से डुबकी लगाते हैं।  पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 29 किमी/सेकंड की गति से चक्कर लगा रही है और धूल के ये टुकड़े लगभग 40 किमी/सेकंड की गति से यात्रा कर रहे हैं, इसलिए जब वे हमारे वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो उनके पास 30 से 70 किमी/सेकंड की संयुक्त गति होती है।
सारः आसमान में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं उन्हें उल्कापिंड (meteor) और साधारण बोलचाल में 'टूटते तारे' कहते हैं। उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुँचता है उसे उल्कापिंड (meteorite) कहते हैं। पर्सिड्स उल्काएं 60 किमी/सेकंड दर की गति में पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं। हम इसे आकाश में प्रकाश की एक लकीर के रूप में देखते हैं। उल्का बौछार तब होता है जब हमारी पृथ्वी (ग्रह) उल्कापिंडों के समूह से होकर गुजरता है। उल्का वर्षा का नामकरण आमतौर पर उस समय के 'आकाश के क्षेत्र' (यानि नक्षत्र) के नाम पर किया जाता है जहां वे उत्पन्न होते हैं।    उदाहरण के लिए, प्रसिद्ध Perseids पर्शियड़ उल्कापात, जिसे हम 11-12 अगस्त के आस-पास देखते हैं, इसलिए इसका नामकरण इसलिए किया गया है क्योंकि वे नक्षत्र Perseus से आते हैं। ये धूमकेतु Swift-Tuttle की पूंछ की धूल के कारण होते हैं। पर्शियड़ उल्कापात (Perseid Meteor Shower) अर्ध रात्रि के बाद ययाति तारामंडल की ओर यह घटना पृथ्वी के स्विफ्ट टटल धुमकेतु के द्वारा छोड़े मलबे के मध्य गुज़रने के समय होती है। एक घंटे में 60-100 उल्काये देखी जा सकती है।
लगभग 21-22 मार्च को मेरीट्स उल्कापात का नजारा होता है। जिसमें उल्कापात की तरह 20 उल्का प्रति घंटा होती है।
वास्तव में, ऐसे कई अन्य उल्का बौछार भी हैं जो पेरेसिड्स की तरह हमे अच्छी तरह से ज्ञात नहीं हैं।
अन्य उल्का वर्षा
लियोनिड्स (नक्षत्र लियो में एक चमक के साथ उत्पन्न होती है) 18 नवंबर के आसपास होती है। 14 दिसंबर के आसपास जेमिनीड्स (नक्षत्र मिथुन) में होते हैं।
इसके अलावा भूली भटकी उल्कापात तो रोजाना होता हैं।
वर्ष 2020 के महत्त्वपूर्ण उल्कापात :-

4 जनवरी, 2020 क्वाड्रंटिड्स
 22 अप्रैल, 2020 लिरिड्स
 5 मई, 2020 एटा Aquariids
 जुलाई के अंत में, 2020 डेल्टा Aquariids
 12 अगस्त, 2020 पर्सिड्स
 7 अक्टूबर, 2020 ड्रेकोनिड्स
 21 अक्टूबर, 2020 ओरियोनिड्स
 4-5 नवंबर, 2020 साउथ टॉराइड्स
 11-12 नवंबर, 2020 उत्तर टॉरिड्स
 17 नवंबर, 2020 लियोनिड्स
 13-14 दिसंबर, 2020 जेमिनीड्स
 22 दिसंबर, 2020 उर्सिड्स।