बुधवार, 25 नवंबर 2015

क्या है लूसी AL 288-1 ? What is Lucy?

क्या है लूसी AL 288-1 ? What is Lucy?
लूसी यह AL 288-1 नामक मादा आदिमानव कंकाल का सामान्य नाम है। यह आधुनिक मानव ’होमो सैपियन्स(Australopithecus afarensis)’ की पूर्वज प्रजाति आस्ट्रेल्प्पिथेकस अफ़रेन्सीस की मादा सदस्य का 40% कंकाल है। लूसी को आज ही के दिन 24 नवंबर 1974 को इथोपिया की अवश घाटी(Awash Valley) मे अफ़ार त्रिभूज(Afar Triangle) के पास एक गांव हडार(Hadar ) मे पाया गया था। यह खोज डोनाल्ड जानसन(Donald Johanson) ने की थी।
मानव जीवन के विकास के अध्ययन को पेलेन्थ्रोपोलोजी (paleoanthropology) कहा जाता है। इस क्षेत्र मे संपूर्ण आदि मानव कंकाल नही मील पाते है, अधिकतर कंकालो के कुछ भाग, कुछ अस्थियाँ ही प्राप्त हो पाती है। लेकिन लूसी की खोज असाधारण थी, इस मामले मे उसका अधिकतर कंकाल प्राप्त हुआ था। लूसी की खोज ने उसके बारे मे और उस समय के मानव के बारे मे कई नयी जानकारीयाँ प्रदान की थी।
यह कंकाल लगभग 32 लाख वर्ष प्राचीन है। इस कंकाल की खोपड़ी छोटी है और वानरो से मेल खाती है, यह मानव दो पैरो पर चलता था और सीधा खड़ा हो सकता था जोकि आधुनिक मानवो के समान है। इन प्रमाणो से यह पता चला कि सीधे खड़े होकर चलने का मानव मस्तिष्क से कोई सीधा संबंध नही है।
लूसी इन द स्काई विथ डाइमन्डस्' बीटल्स का प्रसिद्ध गाना है। जब पुरातत्त्वविदियों कों यह अस्थिपंजर मिला और वे लौट का कैंप में आये तो बीटल्स का यह गाना बज रहा था। इसलिये इसका नाम लूसी रखा गया


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शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

क्या है कोलेस्ट्रॉल? What is Cholesterol?

क्या है कोलेस्ट्रॉल? What is Cholesterol?
कोलेस्ट्रॉल
प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की मृत्यु हृदय रोग से होती है। इसका मुख्य कारण है शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा का सामान्य से अधिक होना। जंक फूड का सेवन, अनियमित निद्रा, योग और एक्सरसाइज से कोसों दूर रहना भी इस समस्या को और गंभीर बना देता है। खानपान और रोजाना की आदत शरीर में कोलेस्ट्रॉल स्तर को बढ़ाती भी है और घटाती भी है। ऐसे में इसका संतुलित रहना आपके स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
Formula: C27H46O
Molar mass: 386.65 g/mol
IUPAC ID: (3β)-​cholest-​5-​en-​3-​ol
Melting point: 148 °C
Density: 1.05 g/cm³
Boiling point: 360 °C
बिना व कोलेस्ट्रॉल युक्त धमनी 
कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार का वसा है, जो रक्त में पाया जाता है। यह मस्तिष्क, त्वचा और अन्य अंगों को विकसित होने और उन्हें सही ढंग से काम करने के लिए बेहद आवश्यक होता है। दरअसल, लीवर शरीर के लिए मोम जैसा एक चिकना पदार्थ बनाता है, यही चिकना पदार्थ कोलेस्ट्रॉल कहलाता है। यह हमारे रक्त के सहारे शरीर के सभी हिस्सों में पहुंचकर शरीर को सुचारू रूप से काम करने में मदद करता है। शरीर के कार्यप्रणाली को ठीक रखने के लिए इसकी एक नियत मात्रा आवश्यक होती है। कुछ खाद्य पदार्थ जैसे मीट, अंडा, मक्खन, चीज, दूध आदि के सेवन से भी कोलेस्ट्रॉल की प्राप्ति होती है। रक्त में वसा के प्रोटीन कॉम्प्लेक्स को लिपो-प्रोटीन कहते हैं। लिपो-कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं, ′लो डेन्सिटी लिपोप्रोटीन′ (एलडीएल) और ′हाई डेन्सिटी लिपोप्रोटीन′ (एचडीएल)। एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को खराब (बैड) कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है। यह रक्त में घुलनशील नहीं होता। एलडीएल के धमनियों की दीवारों में जमा होने से धमनियों में रुकावट होती है, जिससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। स्वस्थ रहने के लिए एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होनी चाहिए। एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को शरीर के लिए अच्छा माना जाता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल यानी धमनियों की दीवारों पर जमा हुए कोलेस्ट्रॉल को शरीर से बाहर निकाल कर हार्ट अटैक, स्ट्रोक के खतरे को कम करता है।
बीमारियों का घर
जिन्हें डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी एवं लीवर की बीमारी और हाइपर थाइरॉयडिज्म की शिकायत होती है, उनमें भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक पाया जाता है। इसके अलावा जिन महिलाओं को मेनोपॉज जल्दी होता है, उनमें भी कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ने की आशंका रहती है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ने पर यह खून पहुंचाने वाली नलियों में जमा होना शुरू हो जाता है। इससे दिमाग को सही मात्रा में रक्त और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता, जिससे स्ट्रोक का खतरा रहता है। इसके बढ़ने से हृदय तक खून पहुंचाने वाली नस भी ब्‍लॉक हो जाती है, जिससे हार्ट अटैक होता है। इतना ही नहीं यह शरीर में रक्त के बहाव को भी प्रभावित करता है।
फायदेमंद भी है
अगर शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा संतुलित है, तो यह फायदेमंद भी हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए कई महत्वपूर्ण हॉर्मोन को बनाने में मदद करता है। खानपान के साथ कई तरह के बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जो कई विषैले तत्व छोड़ते हैं। कोलेस्ट्रॉल इन तत्वों को सोखकर शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है। शरीर में मौजूद कोशिकाओं की बाहरी परतों को बनाने, उनकी देखभाल करने और उन्हें जीवित रखने का काम कोलेस्ट्रॉल ही करता है। शरीर पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को विटामिन डी में बदलने, वसा में पाए जाने वाले विटामिन ए, डी, ई के लिए भी यह जरूरी है। कोलेस्ट्रॉल भोजन करने के बाद शरीर में पहुंचने वाली वसा को बाइल एसिड बनाकर पचाता है, स्ट्रोजन, प्रोजेस्ट्रोन, टेस्टोस्टरोन हर्मोन का निर्माण करता है और मस्तिष्क के कार्य प्रणाली को भी स्वस्थ रखने में मदद करता है।
डाइट पर दें ध्यान
जंक फूड, तला-भुना और मसालेदार भोजन, धूम्रपान, शराब आदि का सेवन करने वालों में बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ता है। अंडा, लाल मीट, मक्‍खन, पनीर, केक, घी, वसा युक्त भोजन से परहेज करें और फल, हरी सब्जियां, साबुत अनाज, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करें। सैचुरेटेड फैट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें। वजन बढ़ने न दें। पर्याप्त नींद लें। मोटापे पर कंट्रोल करें।
डॉक्टर कहते हैं:
कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए एक अच्छा दोस्त है, लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा शरीर को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। ज्यादा तला-भुना या ऑयली खाना, जंक फूड, शराब, सिगरेट, अधिक अंडे या मीट लेना, एक्सरसाइज न करना इसे बढ़ाने में मदद करता है। बढ़ता मोटापा भी इसी कारण होता है। अगर परिवार में इससे संबंधित कोई बीमारी है, तो हर छह महीने के बाद चेकअप कराएं। यह बीपी, शुगर को भी बढ़ाने में मदद करता है। शरीर में कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहे इसके लिए हेल्दी डाइट लें। एक्सरसाइज करें। वजन पर काबू रखें। इससे जुड़ी समस्या होने पर चिकित्सक से संपर्क करें।
डॉ. प्रणव ईश- स्वस्थ जिंदगी के लिए शरीर में बैड नहीं गुड कोलेस्ट्रॉल का होना जरूरी है। वरना आप हृदय के अलावा कई गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।

शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

क्या है बॉडी क्लाक या जैविक घड़ी? What is 'Body Clock' 'Circadian Rhythms' ?

क्या है बॉडी क्लाक या जैविक घड़ी? What is 'Body Clock' 'Circadian Rhythms' ?

बॉडी क्लाक या जैविक घड़ी नियंत्रित करता है प्रतिरक्षा नियंत्रण की कमी और अधिकता 
यह नया अध्ययन महत्वपूर्ण जैविक क्रिया को बताता है जिसे मेडिकल की भाषा में 'शरीर घडी' या 'जैवलय' 'जैविक घड़ी' कहते हैं। अंग्रेजी में इसे 'Body Clock' 'Circadian Rhythms' 'Biological Rhythms' या 'Biological Clock' कहा जाता है। हमारा शरीर जैवलय के अनुरूप कार्य करता है जिसमे रात्री 2बजे हम गहरी नींद में होते हैं प्रातः 4.30 बजे हमारे शरीर का तापमान न्यूनतम होता है 6.45 प्रातः रक्तचाप बढोतरी शुरू होती है फिर हारमोन स्रावण शिथिल, 10 बजे प्रातः हमारा शरीर उच्च सतर्कता स्तर पर होता है और बाद दोपहर तीव्र समन्वयन क्षमता पर होता है। 3.30 बजे दिन में तीव्र प्रतिक्रिया समय होता है। उसके बाद 5 बजे उच्च दक्षता युक्त ह्रदय कार्य क्षमता और मांसपेशीय मजबूती होती है तत्पश्चात 6.30 सायं उच्च रक्तचाप सीमा व 7 सायंकाल उच्च शारीरिक तापमान स्तिथि होती है। 9 रात्री हारमोन स्रावण अधिक और आंतीय हलचल धीमी होनी शुरू हो जाती है। इस 24 घंटे की जैविक प्रक्रिया को  'जैवलयया 'जैविक घड़ी' कहते हैं एक नए अध्ययन से पता चला है कि हमारी शारीरिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की उच्च और निम्न स्तिथि इसी  'जैवलयया 'जैविक घड़ी' पर बहुत निर्भर करती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यदि हम कम नींद लेते हैं तो हमारी  'जैवलयप्रभावित होती है साथ साथ हमारी शारीरिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया भी प्रभावित होती है। 
इस अध्ययन से कमजोर प्रतिरक्षा वाले रोगियों के लिए बेहतर ढंग से उपचारात्मक रणनीति बनाई जा सकेगी।
24 घंटे के दैनिक चक्र 'सिकेडीयन क्लाक' के रूप में जाना जाता है येल विश्वविद्यालय के स्कूल आफ मेडिसिन के वरिष्ठ लेखक ऑथर डा. इरोल फाईक्रिग के अनुसार " नींद के आभाव में हमारी दैनिक लय बिगड़ने से हमारी शारीरिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रभावित होती है"
अपने अध्ययन में शोधदल के सदस्यों की रूचि 'सिकेडीयन नियंत्रण' के अंतर्गत प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा रोगजनक कारक और बावक्त प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का पता लगाने में थी। डा. फाईक्रिग और सहयोगियों ने क्षतिकारक रिसेप्टर- 9 (TLR9) की कार्य प्रणाली को समझा और पाया कि यह प्रतिरक्षा प्रोटीन जीवाणु और विषाणु DNA को पहचानता है जब शोधकर्ताओं ने चूहों का प्रतिरक्षण TLR9 से किया तो उनमे  'सिकेडीयन क्लाक' 'जैवलय' नियंत्रित हुई और पाया कि TLR9 शारीरिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढाने का एक महत्वपूर्ण नमूना साबित हुआ। रोगग्रस्त मनुष्य में रात्री 2 से 6 बजे के बीच जान का खतरा अधिकतम होता है यह निष्कर्ष स्पष्ट करते हैं कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली और  'सिकेडीयन क्लाक' 'जैवलय'  के बीच सीधे आणविक लिंक हैं।

 डा. इरोल फाईक्रिग ने और कहा कि गहन चिकित्सा कक्ष में रोगियों को अक्सर निद्रा गड़बड़ी कम या ज्यादाशोरप्रकाश व दवाओं के प्रयोग से बहुत परेशानी होती है अत् अब यह बहुत जरूरी हो जाता है कि शरीर कैसे TLR9 इन कारकों को भी प्रभावित करेगा। 

बुधवार, 7 जनवरी 2015

क्यों कायम है अमरुद की बादशाहत King guava

क्यों कायम है अमरुद की बादशाहत
अक्सर पेट दर्द और जुकाम खॉसी का जिम्मेदार माना जाने वाला फल अमरुद अब अपने Antioxidants की बदौलत सुपर फूड्स की श्रेणी  में आ गया है। जी हाँ  अमरुद हमारे देश  में पाये जाने वाले फलों में सबसे ज्यादा गुणकारी माना गया है क्योंकि इसमें पाये जाने वाले Antioxidants  कैंसर जैसी गम्भीर बिमारियों से बचा सकते हैं।
राष्ट्रीय पोषण  विज्ञान संस्थान हैदराबाद के अनुसंधान कर्ता डॉ श्रीरामुल्लु ने भारतीय दैनिक आहार के 14 विभिन्न पदार्थो का Antioxidants के लिये विश्लेषण किया। इनमे फल सब्जियॉ मेवे और दालें शामिल थी। अनुसंधानकर्ताओें ने हैदराबाद की विभिन्न मंडियों से अपने सैम्पल इक्ठठे कर पूरे 4 सालों तक ये विश्लेषण  किया जिसके आधार पर अमरुद सर्वोच्च रहा। इस विश्लेषण से अनंसंधानकर्ता भी हैरान हुए बिना नहीं रह पाये।
अमरुद के बाद आम, सेब और शरिफा Antioxidants में अच्छे पाये गये जबकि अनानास, चीकू तरबूज़ और केले में Antioxidants की  मात्रा काफी कम पायी गयी।
ये अपने तरह का पहला अध्ययन है जिससे ये ज्ञात हुआ कि हमारे देश में आम मिलने वाला ये सस्ता सा फल हमें खतरनाक बिमारियों से बचा सकता हैं। अमरुद में पाये जाने वाले Antioxidants  कैंसर जैसी गम्भीर बिमारियों से हमें बचा सकते हैं।
अन्य खाद्य पदार्थों में भिंडी, राजमा, कड़ीपत्ता, पुदिना, रागीकिशमिश  और अखरोट में भी अच्छी मात्रा में Antioxidants पाये गये।