शनिवार, 28 दिसंबर 2013

हमे पसीना क्यों आता है? Sweat?

हमे पसीना क्यों आता है? Sweat?
शरीर को भट्ठी और भोजन को इसका ईंधन माना जा सकता है। एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में प्रतिदिन लगभग 2500 कैलोरी ऊष्मा उत्पन्न होती है। इतनी ऊष्मा से 23 लीटर पानी उबाला जा सकता है। तो इतनी ऊष्मा निकलने पर भी शरीर का तापमान क्यों नहीं बढ़ता? 
दरअसल हमारे मस्तिष्क में तापमान नियंत्रित करने की एक प्रणाली होती है। यह प्रणाली शरीर के तापमान को 37 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रखती है। जब शरीर का तापमान बढ़ने लगता है तब मस्तिष्क ईंधन का जाना बंद कर देता है और त्वचा के छिद्रों को खोल देता है ताकि पसीना बाहर आ सके। बाहर पसीने का वाष्पीकरण होने से शरीर ठंडा हो जाता है। पसीना एक फव्वारे की तरह होता है जो शरीर को भीतर से साफ कर देता है। त्वचा के छिद्रों से यह सूक्ष्म कणों के आकार में बाहर आता है। शरीर की ऊष्मा से ही इस पसीने का वाष्पीकरण होता है। जिस सतह पर वाष्पीकरण होता है वो सतह ठंडी हो जाती है। इसलिए गर्मियों मे वातावरण का तापमान अधिक होने के कारण शरीर बार बार गर्म होता है जिसको सामान्य ताप तक लाने के लिए स्वचालित शारीरिक क्रियाओं के फलस्वरूप पसीना आता है, खेलते हुए या फिर दौड़ते हुए मासपेशियों को अधिक काम करना पड़ता है जिस कारण भी शरीर का तापमान बढ़ने लगता है और खेलते हुए या फिर दौड़ने के दौरान भी हमे पसीना आता है।