क्या है रत्ती, माशा, तोला Abrus precatorius
गुंजा या रत्ती Abrus precatorius
इसे संस्कृत मे कृष्णला या रक्तकाकचिंची भी कहते हैं यह बेल लाता पर लगने वाला एक बीज है।
इस बीज के वजन के बराबर वजन को एक रत्ती कहा जाता था।
8 रत्ती = 1 माशा, 12माशा = 1 तोला = 11.6 ग्राम
8 Ratti = 1 Masha; 12 Masha = 1 Tola (11.6 Grams)
पूराने समय मे भारत मे इस बीज का प्रयोग सोना चांदी तोलने के लिए किये जाता था।
लाल सुर्ख रंग के सात एक काला निशान भी होता है इसे शैतान की आँख भी कहा जाता है।
यह बीज सफ़ेद रंग मे काले निशान के साथ भी होता है।
इसके बीजों की सबसे बडी खासियत इन सबका वजन लगभग एक जैसा होता है और पुराने समय में सोना और चाँदी के वजन करने के लिये इन बीजों का उपयोग किया जाता था, वजन की उस इकाई को आज भी रत्ती के नाम से जाना जाता है।
आधुनिक वज़न के हिसाब से एक रत्ती लगभग 0.121250 ग्राम के बराबर है।
ये प्रणाली इस प्रकार से भी जानी जाती थी।
एक रत्ती भारतीय पारंपरिक भार मापन इकाई है, जिसे अब 0.12125 ग्राम पर मानकीकृत किया गया है।
यह रत्ती के बीज के भार के बराबर होता था।
1 तोला = 12 माशा = 11.67 ग्राम
(यह तोला के बीज के भार के बराबर होता था, जो कि कुछ स्थानों पर जरा बदल जाता था)
1 माशा = 8 रत्ती = 0.97 ग्राम
1 धरनी = 2.3325 किलोग्राम
(लगभग 5.142 पाउण्ड) = 12 पाव (यह नेपाल में प्रयोग होती थी)।
१ सेर = १ लीटर = 1.06 क्वार्ट (इसे सन १८७१ में यथार्थ १ लीटर मानकीकृत किया गया था, जो कि बाद में अप्रचलित हो गयी थी)
१ पंसेरी = 4.677 kg (10.3 पाउण्ड) = पांच सेर
१ सेर = ८० तोला चावल का भार
रत्ती माशा पर बहुत सी कहावती भी बनी हैं
जैसे 'देशभक्तों की एक रत्ती भर भी कीमत नहीं'
एक रत्ती भर कर्म एक मन बात के बराबर है ...
रती भर भी फर्क नहीं पड़ना
कुछा सिक्के भी इसी वजन प्रणाली से बने जो कि आज विश्व के सबसे छोटे सिक्कों मे शुमार होते हैं।
गुंजा या रत्ती Abrus precatorius
इसे संस्कृत मे कृष्णला या रक्तकाकचिंची भी कहते हैं यह बेल लाता पर लगने वाला एक बीज है।
इस बीज के वजन के बराबर वजन को एक रत्ती कहा जाता था।
8 रत्ती = 1 माशा, 12माशा = 1 तोला = 11.6 ग्राम
8 Ratti = 1 Masha; 12 Masha = 1 Tola (11.6 Grams)
पूराने समय मे भारत मे इस बीज का प्रयोग सोना चांदी तोलने के लिए किये जाता था।
लाल सुर्ख रंग के सात एक काला निशान भी होता है इसे शैतान की आँख भी कहा जाता है।
यह बीज सफ़ेद रंग मे काले निशान के साथ भी होता है।
इसके बीजों की सबसे बडी खासियत इन सबका वजन लगभग एक जैसा होता है और पुराने समय में सोना और चाँदी के वजन करने के लिये इन बीजों का उपयोग किया जाता था, वजन की उस इकाई को आज भी रत्ती के नाम से जाना जाता है।
आधुनिक वज़न के हिसाब से एक रत्ती लगभग 0.121250 ग्राम के बराबर है।
ये प्रणाली इस प्रकार से भी जानी जाती थी।
एक रत्ती भारतीय पारंपरिक भार मापन इकाई है, जिसे अब 0.12125 ग्राम पर मानकीकृत किया गया है।
यह रत्ती के बीज के भार के बराबर होता था।
1 तोला = 12 माशा = 11.67 ग्राम
(यह तोला के बीज के भार के बराबर होता था, जो कि कुछ स्थानों पर जरा बदल जाता था)
1 माशा = 8 रत्ती = 0.97 ग्राम
1 धरनी = 2.3325 किलोग्राम
(लगभग 5.142 पाउण्ड) = 12 पाव (यह नेपाल में प्रयोग होती थी)।
१ सेर = १ लीटर = 1.06 क्वार्ट (इसे सन १८७१ में यथार्थ १ लीटर मानकीकृत किया गया था, जो कि बाद में अप्रचलित हो गयी थी)
१ पंसेरी = 4.677 kg (10.3 पाउण्ड) = पांच सेर
१ सेर = ८० तोला चावल का भार
रत्ती माशा पर बहुत सी कहावती भी बनी हैं
जैसे 'देशभक्तों की एक रत्ती भर भी कीमत नहीं'
एक रत्ती भर कर्म एक मन बात के बराबर है ...
रती भर भी फर्क नहीं पड़ना
कुछा सिक्के भी इसी वजन प्रणाली से बने जो कि आज विश्व के सबसे छोटे सिक्कों मे शुमार होते हैं।
1 टिप्पणी:
देखे तो बहुत बार थे पर पता आज ही चला।
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