शनिवार, 31 अगस्त 2013

क्या होते हैं खुशी के आंसू ? Tears of pleasure

क्या होते हैं खुशी के आंसू ? Tears of pleasure
जब हम अपनी पलके झपकते हैं या फिर खुल कर हँसते हैं तो हमारी अश्रुग्रन्थियाँ यांत्रिक रूप से स्वत ही दब जाती हैं और आंसू बाहर आ जाते हैं। भावुकता भी अश्रुग्रन्थियों को सक्रिय करती है क्रोध, दुःख, खुशी और अन्य मौकों पर अश्रुग्रन्थियों पर  दबाव से अश्रु स्रावित होते हैं।आंसू  आंखों को साफ रखने के लिए बहते हैं। जब हम रोते हैं तो हमारी आंखों के चारों ओर की मांसपेशियों में खिंचाव होता है और आंखों के पास की अश्रुग्रंथियों पर दबाव पड़ता है और इसी से आंसू बह निकलते हैं। आंसू एक तरल है जो हमारी आँखो की रक्षा करता है जब कभी भी धुँआ, धूल या प्रदूषण व प्याज कटते समय हमारी आँखे प्रभावित होती हैं तब अश्रुग्रन्थियाँ सक्रिय हो कर इन जलन पैदा करने वाली व्याधियों को तनु (पतला) कर के आँख से दूर करने का प्रयास करती हैं और आँख को इन से प्रभावित होने से बचाती हैं। वैसे तकनीकी रूप से आंसू आंख में होने वाली दिक्कत का सूचक हैं।  ये आँख को शुष्क होने से बचाता है और उसे साफ और कीटाणु रहित रखने में मदद करता हैं।  ये आंख की अश्रु नलिकाओं से निकलने वाला तरल पदार्थ है जो पानी और नमक के मिश्रण से बना होता  हैं। एक मनुष्य अपने जीवन मे 25 करोड़ बार पलके झपकता है प्रत्येक बार पलके वाइपर की तरह नेत्र गोलक को चिकना व साफ़ करती हैं इनको चिकना बनाए रखने के लिए नेत्र के बाहरी कोने मे स्थित अश्रुग्रन्थियाँ तरल प्रदान करती हैं यह तरल नलिकाओं द्वारा पलक तक पहुंचता हैं।  
अजीब बात है न इंसान भावुक होकर आंसू बहा सकता  हैं। 

सोमवार, 5 अगस्त 2013

क्या है रत्ती, माशा, तोला Abrus precatorius

क्या है रत्ती, माशा, तोला  Abrus precatorius


गुंजा या रत्ती Abrus precatorius
इसे संस्कृत मे कृष्णला या रक्तकाकचिंची भी कहते हैं यह बेल लाता पर लगने वाला एक बीज है। 
इस बीज के वजन के बराबर वजन को एक रत्ती कहा जाता था।
8 रत्ती = 1 माशा, 12माशा = 1 तोला = 11.6 ग्राम 
8 Ratti = 1 Masha; 12 Masha = 1 Tola (11.6 Grams)
पूराने समय मे भारत मे इस बीज का प्रयोग सोना चांदी तोलने के लिए किये जाता था।
लाल सुर्ख रंग के सात एक काला निशान भी होता है इसे शैतान की आँख भी कहा जाता है।
यह बीज सफ़ेद रंग मे काले निशान के साथ भी होता है।
इसके बीजों की सबसे बडी खासियत इन सबका वजन लगभग एक जैसा होता है और पुराने समय में सोना और चाँदी के वजन करने के लिये इन बीजों का उपयोग किया जाता था, वजन की उस इकाई को आज भी रत्ती के नाम से जाना जाता है।
आधुनिक वज़न के हिसाब से एक रत्ती लगभग 0.121250 ग्राम के बराबर है।
ये प्रणाली इस प्रकार से भी जानी जाती थी।
एक रत्ती भारतीय पारंपरिक भार मापन इकाई है, जिसे अब 0.12125 ग्राम पर मानकीकृत किया गया है।
यह रत्ती के बीज के भार के बराबर होता था।
1 तोला = 12 माशा = 11.67 ग्राम
(यह तोला के बीज के भार के बराबर होता था, जो कि कुछ स्थानों पर जरा बदल जाता था)
1 माशा = 8 रत्ती = 0.97 ग्राम
1 धरनी = 2.3325 किलोग्राम
(लगभग 5.142 पाउण्ड) = 12 पाव (यह नेपाल में प्रयोग होती थी)।
१ सेर = १ लीटर = 1.06 क्वार्ट (इसे सन १८७१ में यथार्थ १ लीटर मानकीकृत किया गया था, जो कि बाद में अप्रचलित हो गयी थी)
१ पंसेरी = 4.677 kg (10.3 पाउण्ड) = पांच सेर
१ सेर = ८० तोला चावल का भार
रत्ती माशा पर बहुत सी कहावती भी बनी हैं
जैसे 'देशभक्तों की एक रत्ती भर भी कीमत नहीं'
एक रत्ती भर कर्म एक मन बात के बराबर है ...
रती भर भी फर्क नहीं पड़ना
कुछा सिक्के भी इसी वजन प्रणाली से बने जो कि आज विश्व के सबसे छोटे सिक्कों मे शुमार होते हैं।