क्या होते हैं खुशी के आंसू ? Tears of pleasure
जब हम अपनी पलके झपकते हैं या फिर खुल कर हँसते हैं तो हमारी अश्रुग्रन्थियाँ यांत्रिक रूप से स्वत ही दब जाती हैं और आंसू बाहर आ जाते हैं। भावुकता भी अश्रुग्रन्थियों को सक्रिय करती है क्रोध, दुःख, खुशी और अन्य मौकों पर अश्रुग्रन्थियों पर दबाव से अश्रु स्रावित होते हैं।आंसू आंखों को साफ रखने के लिए बहते हैं। जब हम रोते हैं तो हमारी आंखों के चारों ओर की मांसपेशियों में खिंचाव होता है और आंखों के पास की अश्रुग्रंथियों पर दबाव पड़ता है और इसी से आंसू बह निकलते हैं। आंसू एक तरल है जो हमारी आँखो की रक्षा करता है जब कभी भी धुँआ, धूल या प्रदूषण व प्याज कटते समय हमारी आँखे प्रभावित होती हैं तब अश्रुग्रन्थियाँ सक्रिय हो कर इन जलन पैदा करने वाली व्याधियों को तनु (पतला) कर के आँख से दूर करने का प्रयास करती हैं और आँख को इन से प्रभावित होने से बचाती हैं। वैसे तकनीकी रूप से आंसू आंख में होने वाली दिक्कत का सूचक हैं। ये आँख को शुष्क होने से बचाता है और उसे साफ और कीटाणु रहित रखने में मदद करता हैं। ये आंख की अश्रु नलिकाओं से निकलने वाला तरल पदार्थ है जो पानी और नमक के मिश्रण से बना होता हैं। एक मनुष्य अपने जीवन मे 25 करोड़ बार पलके झपकता है प्रत्येक बार पलके वाइपर की तरह नेत्र गोलक को चिकना व साफ़ करती हैं इनको चिकना बनाए रखने के लिए नेत्र के बाहरी कोने मे स्थित अश्रुग्रन्थियाँ तरल प्रदान करती हैं यह तरल नलिकाओं द्वारा पलक तक पहुंचता हैं।
अजीब बात है न इंसान भावुक होकर आंसू बहा सकता हैं।
जब हम अपनी पलके झपकते हैं या फिर खुल कर हँसते हैं तो हमारी अश्रुग्रन्थियाँ यांत्रिक रूप से स्वत ही दब जाती हैं और आंसू बाहर आ जाते हैं। भावुकता भी अश्रुग्रन्थियों को सक्रिय करती है क्रोध, दुःख, खुशी और अन्य मौकों पर अश्रुग्रन्थियों पर दबाव से अश्रु स्रावित होते हैं।आंसू आंखों को साफ रखने के लिए बहते हैं। जब हम रोते हैं तो हमारी आंखों के चारों ओर की मांसपेशियों में खिंचाव होता है और आंखों के पास की अश्रुग्रंथियों पर दबाव पड़ता है और इसी से आंसू बह निकलते हैं। आंसू एक तरल है जो हमारी आँखो की रक्षा करता है जब कभी भी धुँआ, धूल या प्रदूषण व प्याज कटते समय हमारी आँखे प्रभावित होती हैं तब अश्रुग्रन्थियाँ सक्रिय हो कर इन जलन पैदा करने वाली व्याधियों को तनु (पतला) कर के आँख से दूर करने का प्रयास करती हैं और आँख को इन से प्रभावित होने से बचाती हैं। वैसे तकनीकी रूप से आंसू आंख में होने वाली दिक्कत का सूचक हैं। ये आँख को शुष्क होने से बचाता है और उसे साफ और कीटाणु रहित रखने में मदद करता हैं। ये आंख की अश्रु नलिकाओं से निकलने वाला तरल पदार्थ है जो पानी और नमक के मिश्रण से बना होता हैं। एक मनुष्य अपने जीवन मे 25 करोड़ बार पलके झपकता है प्रत्येक बार पलके वाइपर की तरह नेत्र गोलक को चिकना व साफ़ करती हैं इनको चिकना बनाए रखने के लिए नेत्र के बाहरी कोने मे स्थित अश्रुग्रन्थियाँ तरल प्रदान करती हैं यह तरल नलिकाओं द्वारा पलक तक पहुंचता हैं।
अजीब बात है न इंसान भावुक होकर आंसू बहा सकता हैं।