मंगलवार, 12 जून 2012

कुछ कीड़े प्रकाश की ओर क्यों आकर्षित होते हैं? why does light attract insects?


कुछ कीड़े प्रकाश की ओर क्यों आकर्षित होते हैं? why does light attract insects?
प्रकाश से आकर्षित होते कीट
सामान्यतः पौधे व जानवर प्रकाश की ओर आकर्षित होते हैं। 
पौधे में प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्तन के गुण होते हैं 
कीटों में भी यह परिघटना प्रकाशानुवर्तन या प्रकाशानुचलन कहलाती है।
जिसमें पशु व कीड़े/कीट प्रकाश स्त्रोत की ओर गमन करते हैं।
यदि कीड़े/कीट प्रकाश की ओर जाएँ तब यह प्रवृत्ति धनात्मक प्रकाशानुचलन एवं कीड़ों का प्रकाश के दूर जाना ऋणात्मक प्रकाशानुचलन कहलाता है।
अधिकतर कीड़े धनात्मक प्रकाशानुवर्तन का गुण रखते हैं, किन्तु उनका प्रकाश के प्रति आकर्षण भिन्न-भिन्न होता है। कुछ कीड़े ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन का गुण रखते हैं, जैसे खटमल, यह प्रकाश से दूर भागते हैं।
प्रकाश के प्रति कीड़ों की विभिन्न प्रजातियों का भिन्न-भिन्न व्यवहार, उनके विशिष्ट लक्षणों के कारण होता है।
कुछ कीड़े बिना आँखो के भी प्रकाशानुवर्तन का गुण प्रदर्शित करते हैं।
प्रकाश के प्रति इन कीड़ों की संवेदनशीलता इनकी पृष्ठीय सतह के कारण होती हैं। उचित कीड़े प्रकाश किरणों के प्रति अत्याधिक संवेदनशील होते हैं।
उनकी सतह कोशिकाएँ व आँखे,  उनकी प्रकाश स्त्रोत के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाती हैं।
कुछ कीड़े पीले व मरकरी प्रकाश क्षेत्र के प्रति आकर्षित होते हैं।
प्रकाशमय क्षेत्र मादा द्वारा जोड़ा बनाने में भी उपयोग किया जाता है।
वयस्क  दीमक के असंख्य जोड़े प्रकाशानुवर्तन प्रकट करते हैं और मारे जाते हैं बस चंद ही जोड़ा बनाने में कामयाब होते हैं 

सोमवार, 11 जून 2012

क्या वर्षा जल शत प्रतिशत शुद्ध होता है? Is Rain Water is 100% Pure?

क्या वर्षा जल शत प्रतिशत शुद्ध होता है? Is Rain Water is 100% Pure?
आदीवासी एकत्र करते हैं वर्षा का जल
क्या वर्षा जल शत प्रतिशत शुद्ध होता है? क्या इसे हम पेय-जल के तौर पर उपयोग कर सकते हैं?
प्राकृतिक जल में आयन घुले होते हैं। 
वर्षा जल प्राकृतिक आसवन प्रक्रिया, जो कि वाष्पीकरण, संघनन एवं अवक्षेपण की सम्मिलित क्रिया है, से प्राप्त होता है, वर्षा जल बहुत ही तनु विलयन होता है। 
जिसमें बहुत ही कम मात्रा, सामान्यतः 10 से 20 मि.ग्रा. प्रति लीटर में आयन घुले रहते हैं।
वर्षा जल में सभी घुलित आयन 1 से 3 मि.ग्रा. / लीटर की परास में होते हैं। इसलिए यह शुद्ध व पेय योग्य होता है। इस वर्षा जल का पी एच मान 6.7 से 7.2 उपभोग की दृष्टि से सही माना जाता है, जो कि क्षेत्र के अनुसार परिवर्तित होता है। तटीय क्षेत्र में समुद्री फुहार के कारण आयन उच्च मात्रा में विलेय होते हैं। 

pH व T D S
हवा में अधिक कणों की उपस्थिति, पानी के अणुओं से क्रिया कर अधिक आयनों को घोलती है।
वायु में कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रोजनडाइऑक्साइड एवं सल्फरडाइआक्साईड की अधिक मात्रा से अम्लीय वर्षा होती है जो कि पेड़-पौधों के लिए हानिकारक है। इस वर्षा से पी एच pH मान भी घटता है। शुद्ध वर्षा जल शरीर के लिए आवश्यक खनिज तत्वों व आयनों की पर्याप्त मात्रा नहीं रखता। इसलिए वर्षा जल में उचित परिवर्तन करने के पश्चात, पेयजल के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है।

वर्षा  का जल आरम्भिक बूंदों के साथ वातावरणीय अशुद्धियों युक्त होता है परन्तु कुछ देर की लगातार वर्षा के बाद जल अपेक्षाकृत शुद्ध अवस्था में होता है
ओधोगिक नगरी जैसे आगरा कानपुर फरीदाबाद आदि और वायु प्रदुषित शहर में वर्षा का जल अम्लीय प्रकृति का होता है