बुधवार, 25 अप्रैल 2012

क्या ? ? आने वाला है मलेरिया को रोकने वाला टीका Maliria Vaccine

क्या?? आने वाला है मलेरिया को रोकने वाला टीका Malaria Vaccine
पूरे विश्व में प्रतिवर्ष लगभग सात लाख मानव मलेरिया के कारण असमय मृत्यु को प्राप्त होते हैं इस रोग का इतिहास बताता है कि आबादी की आबादी खत्म की है इसने, इसका उपाय सर्वप्रथम डी.डी.टी.के रूप में समक्ष आया पूरी दुनिया में लाखो टन डी.डी.टी. का छिड़काव किया गया, कईं देशो में अलग से मलेरिया उन्मूलन विभाग बनाए गए लेकिन डी.डी.टी.के रूप में मिला उपाय भी मलेरिया के उन्मूलन में सफल ना हो सका वरन् डी.डी.टी. अन्य कईं पर्यावरणीय समस्याएं ले कर पेश आया मलेरिया पर दवा के विकास का इतिहास को देखा जाए तो विश्व में मलेरिया के विरूद्ध टीके विकसित किये जा रहे है यद्यपि अभी तक 100% सफलता नहीं मिली है। पहली बार प्रयास 1967 में चूहों पर किया गया था जिसे जीवित किंतु विकिरण से उपचारित बीजाणुओं का टीका दिया गया। इसकी सफलता दर 60% थी। उसके बाद से ही मानवों पर ऐसे प्रयोग करने के प्रयास चल रहे हैं। वैज्ञानिकों ने यह निर्धारण करने में सफलता प्राप्त की कि यदि किसी मनुष्य को 1000 विकिरण-उपचारित संक्रमित मच्छर काट लें तो वह सदैव के लिए मलेरिया के प्रति प्रतिरक्षा विकसित कर लेगा। इस धारणा पर वर्तमान में काम चल रहा है और अनेक प्रकार के टीके परीक्षण के भिन्न दौर में हैं। एक अन्य सोच इस दिशा में है कि शरीर का प्रतिरोधी तंत्र किसी प्रकार मलेरिया परजीवी के बीजाणु पर मौजूद सीएसपी (सर्कमस्पोरोज़ॉइट प्रोटीन) के विरूद्ध एंटीबॉडी बनाने लगे। इस सोच पर अब तक सबसे ज्यादा टीके बने तथा परीक्षित किये गये हैं। SPf66 पहला टीका था जिसका क्षेत्र परीक्षण हुआ, यह शुरू में सफल रहा किंतु बाद मे सफलता दर 30% से नीचे जाने से असफल मान लिया गया। आज RTS,S/AS02A टीका परीक्षणों में सबसे आगे के स्तर पर है। आशा की जाती है कि पी. फैल्सीपरम के जीनोम की पूरी कोडिंग मिल जाने से नयी दवाओं का तथा टीकों का विकास एवं परीक्षण करने में आसानी होगी।
मलेरिया का टीका खोजना डॉक्टरों के लिए हमेशा से ही एक बड़ी चुनौती रहा है दुनिया भर के वैज्ञानिक मलेरिया उन्मूलन का कोई कारगर उपाय खोजने में लगे रहे बहुत से रासायनिक और गैर-रासायनिक मलेरिया उन्मूलन के तरीको पर काम हुआ तब जाकर अब मलेरिया से निबटने का उपाय यानि हथियार वैज्ञानिकों के हाथ लगने वाला ही हैब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने मलेरिया रोकने का टीका लगभग विकसित कर ही लिया है इन ब्रिटिश वैज्ञानिकों को इस टीके के पूर्व परिणामों में पूर्ण सफलता मिली है यह टीका मलेरिया परजीवी की सभी प्रजातियों जैसे प्लाज्मोडियम वाईवेक्स, प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम, प्लाज्मोडियम मलेरियाई और प्लाज्मोडियम ओवेल पर कारगर होगा परन्तु अभी यह शोध प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम पर केंद्रित है। प्लाज्मोडियम फैल्सीपरम के जीनोम की पूरी कोडिंग मिल जाने से नयी दवाओं का तथा टीकों का विकास एवं परीक्षण करने में तेज़ी आयी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीटयूट के डॉ़ सिमोन ड्रापर की अगुवाई में वैज्ञानिकों की एक टीम ने अब एक ऐसा टीका विकसित किया है जो शरीर में खासतौर पर प्लाज्मोडियम फाल्सिपरम को निष्क्रिय कर देता है।
मलेरिया परजीवी रक्त की लाल रक्त कणिकाओं में प्रवेश करके तीव्र गुणित होता है और फिर बीमारी को जन्म देता है। शोध दल के वैज्ञानिकों ने जो तरीका अपनाया वो था कि सर्वप्रथम उस प्रोटीन को पहचनाना जो मलेरिया परजीवी को लाल रक्त कणिकाओं तक पहुचने को आसान बनाता है। प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी लाल रक्त कणिकाओं की सतह पर ‘बासिजिन’ नामक प्रोटीन को चुनता है और इस प्रोटीन के साथ ‘आर.एच.-5’ प्रोटीन को जोड़ देता है। इस क्रिया में लाल रक्त कणिकाओं में उसके लिए प्रवेशद्वार खुल जाता है जहां वह तीव्र गुणित होकर मलेरिया रोग को प्रकट करता है।
वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को रोकने के तरीकों पर काम किया और सफलता मिली, ‘आर.एच.-५’ प्रोटीन के विरुद्ध एंटीबॉडीज को प्रेरित कर के इस रोग को प्रकट होने से पहले ही रोकने में सफलता प्राप्त कर ली है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों का यह सफल शोध नेचर कम्यूनिकेशन पत्रिका में छपा है। मलेरिया का टीका 2015 तक बाजार में आ जायेगायह भरोसा अणु जीव वैज्ञानिक डॉ. जो कोहेन ने दिलाया है। 68 वर्षीय इस मृदुभाषी वैज्ञानिक के पास मलेरिया के टीके का पेटेंट है। इस पर उन्होंने इसी सप्ताह तीसरे चरण का परीक्षण पूरा कर दिया है। उनका दावा है कि इसके टीकाकरण से पांच से लेकर 17 महीने के शिशुओं में 56 फीसद तक मलेरिया की रोकथाम में सफलता मिली है। इस दवा को गंभीर बीमारी के दौरान तीन खुराक देने पर 47 प्रतिशत सफलता हासिल हुई है। इसका परीक्षण सब सहारा क्षेत्र के सात देशों में किया गया है। ये सारे परीक्षण टीके को बाजार में उतारने से पहले हो गये बताये जाते है। और इसके प्रभावों को कुछ माह के शिशुओं से लेकर बड़े बच्चों तक पर अच्छी तरह परखा जा चुका है। अगले दो से तीन साल में इंसानों पर भी इस टीके का इस्तेमाल शुरू करने की योजना है। 



बुधवार, 4 अप्रैल 2012

क्या है पुरुष स्तनवृद्धि ? What is Gynecomastia?

क्या है पुरुष स्तनवृद्धि? What is Gynecomastia? 

नोट: यह लेख कोई विशेषज्ञ लेख नहीं है मात्र जानकारी है
पुंस्तनबृद्धि  Gynecomastia   ग्य्नेकोमस्टिया
पुरुष स्तन वृद्धि
पुंस्तनवृद्धि या पुरुष स्तन वृद्धि उस स्थिति को कहते है जब पुरुष की स्तन ग्रन्थिया वृधि को प्राप्त होने लगती हैं इस अवस्था में पुरुष के स्तन समान्य से बड़े होने लगते हैं
Gynecomastia का उद्गम एक ग्रीक शब्द से है  यह मेडिकल साइंस का शब्द है जिस का समान्यतः मतलब है  महिला जैसी छातियाँ  “woman-like breasts"
नवजात शिशुओं में यदि यह लक्षण हों तो इसका कारण माँ से प्राप्त महिला हार्मोन हैं और यदि यह लक्षण किशोरावस्था में और प्रौढ़/बुजुर्ग अवस्था में हों तो यह एक असामान्य बीमारी या चयापचय संबंधी विकार के साथ जुड़े हालत  होते हैं  
मोटापा भी पुरुष स्तन वृद्धि का एक कारण हैं, इसके और भी बहुत से कारण हो सकते हैं बचपन, किशोर व युवा अवस्था में यह पुंस्तनवृद्धि लज्जा और हीनभावना का कारण बनती है समुद्रतट पर नहाना या सार्वजनिक स्थानों पर निवस्त्र होना शर्मनाक स्थिति पैदा करता है ज्यादातर लड़कों में जिनमे पुंस्तनवृद्धि की वजह मोटापा नहीं है उनमे स्तनों की वृद्धि वयस्कता की आयु तक पहुँचते तक बिना कोई उपचार के साथ अपने आप ही दूर (सिकुड़ ) हो जाती है
पुंस्तनवृद्धि के प्रकार 
पुंस्तनवृद्धि  के कारण  सामान्यतः पुंस्तनवृद्धि के कारण अभी तक अनिश्चित माने जाते हैं
संक्षेप में,
स्वास्थ्य की स्थिति सही ना होना
पुरुष हारमोन की कमी
बढ़ती उम्र
वृष्ण,अधिवृक्कग्रंथि, पियूष ग्रंथि में ट्यूमर का होना
गुर्दे की विफलता
अवटू ग्रंथि की अतिसक्रियता
यकृत की विफलता और सिरोसिस
कुपोषण और भुखमरी
सहवास के निष्क्रियता व अतिसक्रियता दोनों
 कई स्वास्थ्य स्थितियां हार्मोन के स्तर को प्रभावित कर पुंस्तनबृद्धि पैदा करती है व्यक्तिगत मामलों के लिए एक मूल कारण निर्धारित नहीं किया जा सकता है कुछ खास व आम कारण यहाँ वर्णित हैं
नर जनन हारमोन टेस्टोस्टेरॉन का निम्न स्तर
एक स्थिति में यह छाती पर  मादा - हार्मोन संबंधी और नर - हार्मोन संबंधी प्रभाव के  असंतुलन के कारण भी हो सकता है
सेक्स हार्मोन बाध्यकारी ग्लोब्युलिन (SHBG) की अधिकता मुक्त टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के स्तर को निम्न करता है
10% से कम मामलों में दवा के साइड इफेक्ट पुंस्तनवृद्धि के कारण के लिए बदनाम हैं
ऐसी ही एक दवा Spironolactone (Aldactone)  है जिस के साइड इफेक्टस ऐसे पाए गए हैं
एल्कोकल यानी की शराब का अत्याधिक सेवन हार्मोनल गडबडियां  उत्त्पन्न करता है मादा हारमोन एस्ट्रोजन की अधिकता के कारण छातियों में महिला के लक्षण दिखाई देते हैं  पुरुष की छात्तियाँ अधिक वसा का संचय करती हैं और वह मनुष्य असहज महसूस करता है
एक कारण मोटापा भी माना गया है पुंस्तनवृद्धि का परन्तु हमेशा यह कारण पुंस्तनवृद्धि का नहीं हो सकता है क्यूंकि कम मोटे और बिलकुल मोटे नहीं आदमियों में भी पुंस्तनवृद्धि के लक्षण पाए जाते है और किशोरावस्था में तो बिना मोटापे के लक्षण वाले लड़कों में स्तन-वृद्धि प्रदर्शित होती है
आक्सीटोसिन नामक हारमोन जो कि गाय-भैंस का दूध उतारने के लिए दक्षिण एशिया देशों में बहुतायत में प्रयोग होता है इस इंजेक्शन के बेल वाली सब्जियों में तीव्र वृद्धि के लिए भी प्रयोग किये जाने से मनुष्यों में हारमोन असंतुलन बढ़ गया है जिस में मादा में तो द्वितियिक लैंगिक लक्षण जल्दी दिखने लगते हैं और साथ-साथ नरों में भी मादा के द्वितियिक लक्षणों का प्रदर्शन होता है
व्ययाम, शारीर सौष्ठव निर्माण, तैराकी, बैंच प्रेस भारोत्तोलन, मासपेशीय उठान ड्रग्स और प्रोटीन व स्टेरोय्ड्स युक्त खाद्य भी इस समस्या के जनको में से एक हो सकते हैं
पुंस्तनवृद्धि  के प्रकार  सामान्यतः पुंस्तनवृद्धि के दो-तीन प्रकार हैं,
सबसे अधिक तो उभरे हुए गद्देदार चूचक प्रकार की पुंस्तनवृद्धि पायी जाती है और दूसरा प्रकार जो कि आम नहीं है परन्तु पुंस्तनवृद्धि का शुद्ध रूप है वो है स्तन ग्रंथियों के उत्तको का विकास हो जाना
पुरुष स्तन कैंसर के कारण छातियों का उभर जाना
पुंस्तनवृद्धि  के उपचार
किशोरावस्था में तो यह स्वत ही दूर हो जाती है
इसके अलावा पुंस्तनवृद्धि  के दो प्रमुख उपचार हैं,
१. लिपोसक्शन
२. शल्य चिकित्सा 
यहाँ आप शल्य चिकित्सा का विडियो देख सकते हैं (कृपया यह विडियो आप को व्यथित भी कर सकता है)