सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

क्यों जरूरी है विटामिन ई ? Why Vitamin-E is essential ?

क्यों जरूरी है विटामिन ई ? Why Vitamin-E is essential ?
विटामिन-ई अणु
आवश्यक शारीरिक क्रियाएँ पूरी करने के लिए शरीर को किसी न किसी रूप में सभी विटामिनो  की जरूरत होती है। क्योंकि विटामिनो  की कमी से शरीर में कई दुष्प्रभाव देखने को मिलते हैं।
यूँ तो सभी विटामिनो का अपना अपना महत्व है परन्तु इनमे से विटामिन ई अद्वितीय गुणों से भरपूर है। अधिकतर यह ही जानते हैं कि  झुर्रियों को रोकने में और नपुसंकता/बांझपन मे विटामिन ई लाभकारी है परन्तु सिर्फ ऐसा नहीं है माल बेचने की जुगतों ने इस महत्वपूर्ण विटामिन को केवल सेक्स और सौंदर्य विटामिन बना कर पेश किया है
वैज्ञानिकों का दावा है कि विटामिन ई अल्जाइमर रोगको रोकने में सहायक हो सकता है
तो आइए जानें विटामिन ई के और उसके कार्यों के बारे में;
विटामिन ई सब उम्र के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक एंटीऑक्सीडेंट प्रकार का विटामिन है और व्यायाम खेल-कूद से उत्पन्न हो सकने वाली आक्सिकरणीय नुकसान को रोकने में मदद करता है।विटामिन ई द्वारा मुक्त एंटीऑक्सीडेंट गुणों के कारण इस आक्सिकरणीय नुकसान मे कोशिकाओं को सामान्य रूप से कार्य करने के लिए पूरी क्षमता के साथ प्रेरित करता हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया, कैंसर और हृदय रोग सहित कई विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए जिम्मेदार माना जाता है।विटामिन ई सभी मांसपेशियों में ऐंठन को कम करने में मदद कर सकते हैं।
विटामिन ई कई रूपों मौजूद हैं:
अल्फा-tocopherol ; 
डी-अल्फा tocopherol(प्राकृतिक उत्पाद सोयाबीन तेल); 
डी-अल्फा tocopheryl; 
डीएल-अल्फा tocopheryl;
सिंथेटिक विटामिन ई; 
प्राकृतिक अल्फा, बीटा, डेल्टा, और गामा tocopherol सहित समावयवों का एक मिश्रण है।
विटामिन ई की कमी या अल्पता से हानियाँ; 
>विटामिन ई, खून में रेड बल्ड सेल या लाल रक्त कणिकाओं (R B C) को बनाने के काम आता है।
>शरीर में अनेक अंगों को सामान्य रूप में बनाये रखने में मदद करता है जैसे कि मांस-पेशियां, अन्य उत्तक। 
>यह विटामिन शरीर को आक्सीजन के एक नुकसानदायक रूप से बचाता है जिसे आक्सीजन रेडिकल्स(oxygen radicals)  कहा जाता है ये एंटीओक्सिडेंट (anti-oxidants) के रूप में हमे इस नुकसान से बचाता है 
>विटामिन ई , कोशिका के अस्तित्व बनाए रखने के लिये कोशिका की बाह्य झिल्ली को बनाए रखता है।
>विटामिन , शरीर के वासिय अम्लो को भी संतुलन में रखता है।
>समय से पहले हुये या अपरिपक्व नवजात शिशु (Premature infants) में विटामिन ई के कमी से खून की कमी हो जाता है। इससे उनमें एनिमीया (anemia) हो सकता है।
>बच्चों और व्यस्क लोगों में  विटामिन ई के अभाव से दिमाग की नसों की या न्युरोलोजीकल (neurological) समस्या हो सकती है।
>पुरुषों की नपुंसकता और नामर्दी का एक कारण शरीर में विटामिन ई की कमी हो जाना भी होता है।
>शिराओं के भंयकर घाव, गैग्रीन आदि विटामिन `´ के प्रयोग से समाप्त हो जाते है।
>विटामिन `´ की कमी से स्त्री के स्तन सिकुड़ जाते हैं और छाती सपाट हो जाती है।
>विटामिन `´ की कमी से थायराइड ग्लैण्ड तथा पिट्यूटरी ग्लैण्ड के कामकाज में बाधा उत्पन्न हो जाती है।
>शरीर में विटामिन `´ की कमी हो जाने से किसी भी रोग का संक्रमण जल्दी लग जाता है।
>विटामिन `´ की कमी होते ही क्रमश: विटामिन `´ भी शरीर से नष्ट होने लगता है।
> विटामिन `´ झुर्रियाँ मिटाने और युवा बनाये रखने में विशेष सहायक होता है।
विटामिन ई की उपलब्धता
विटामिन ई की उपलब्धता;
विटामिन-ई सिर्फ प्राकृतिक स्त्रोत से ही लेने पर फायदेमंद है।विटामिन बी और सी पानी में घुलनशील है और यूरिन के जरिए बाहर चला जाता है, लेकिन विटामिन ए, डी और इ फैट सॉल्युबल हैं,ये शरीर में रह जाते हैं
विटमिन ई सी फूड, शाक-सब्जियों, अंकुरित अनाज, बिनोले, एवोकैडो, मेवे व राजमा, फ्लेक्स सीड(अलसी), सोयाबीन, लोबिया में पाए जाते हैं...ओमेगा 3 फैट्स सिर्फ ऑयली मछली जैसे सालमन में पाए जाते हैं यह गेहूँ के अंकुर के तेल (wheat germ oil) से भी प्राप्त होता है।
    Mustard Greens,Swiss Chard, Spinach, Kale and Collard Greens, Nuts,Tropical Fruits, Red Bell Peppers, Broccoli, Wheat Oils

जीवन रक्षक न होते हुए भी विटामिन  संसार भर के स्त्री-पुरुषों के लिए जीवन के समस्त आनन्द प्राप्त करने के लिए अति आवश्यक है।

शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

क्यों जरूरी है रक्तदान ? Why Blood Donation ?

क्यों जरूरी है रक्तदान ? Why Blood Donation ?
रक्तदान का शरीर से निकाल कर जरूरतमंद व्यक्ति को देना रक्तदान कहलाता है बशर्ते इसके बदले कोई धन पुरस्कार आदि ना लिया जाए या  रक्तदान तब होता है जब एक स्वस्थ व्यक्ति स्वेच्छा से अपना रक्त देता है रक्तदान सही मायनों मे जीवनदान ही है। हमारे द्वारा किया गया रक्त का दान कई लोगो की जान बचाता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और उसे बचाने के लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं। देश भर में रक्तदान हेतु नाको, रेडक्रास, पंजीकृत ब्लडबैंक, सेना हस्पताल  जैसी कई संस्थाएँ लोगों में रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही है परंतु इनके प्रयास तभी सार्थक होंगे, जब हम स्वयं रक्तदान करने के लिए आगे आएँगे और अपने मित्रों व रिश्तेदारों को भी इस हेतु आगे आने के लिए प्रेरित करेंगे।
जीवन बचाने के लिए खून चढाने की जरूरत पडती है। दुर्घटनारक्‍तस्‍त्रावप्रसवकाल और ऑपरेशन आदि अवसरों में शामिल है,जिनके कारण अत्‍यधिक खून बह सकता है और इस अवसर पर उन लोगों को खून की आवश्‍यकता पडती है। थेलेसिमियाल्‍यूकिमियाहीमोफिलिया जैसे अनेंक रोगों से पीडित व्‍यक्तियों के शरीर को भी बार-बार रक्‍त की आवश्‍यकता रहती है अन्‍यथा उनका जीवन खतरे में रहता है। जिसके कारण उनको खून चढाना अनिवार्य हो जाता है
स्वैच्छिक रक्तदान में केवल 450 मिलीलीटर रक्त निकाला जाता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के मुताबिक आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 450 मिली खून तीन जिन्दगियों को बचा सकता है। सही समय पर रक्त न मिलने की वजह से प्रति वर्ष देश में बहुत सारे जरूरतमंदों की मौत हो जाती है। सड़क दुर्घटना, गर्भावस्‍था से गुजर रही महिलाएं, बड़ी सर्ज़री वाले मरीज, कैंसर के शिकार व्यक्तियों व थैलीसीमिया के शिकार बच्चों को सुरक्षित रक्त की बेहद आवश्यकता होती है। 
 रक्त से रक्‍त अवयवों को अलग कर जरूरतमन्द मरीजों को चढ़ाने से रक्‍त की बचत होती है, जो इस देश के लिए आवश्‍यक है । एक यूनिट ब्लड से कई अवयव तैयार किए जा सकते हैं, जैसे- लाल रक्तकणिकाएं, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा आदि। किसी मरीज को केवल वही अवयव चढ़ाया जाता है जिसकी उसे जरूरत होती है।
रक्तदान के फायदे 
बीएल कपूर मेमोरियल अस्पताल के ट्रांसफ़्यूजन मेडिसीन विभाग की डॉ. रसिका सेतिया के अनुसार स्‍वैच्छिक रक्तदान से फायदे ही फायदे हैं । उनके अनुसार रक्तदान करके न सिर्फ किसी की ज़ि़न्दगी बचाने जैसी अनमोल खुशी मिलती है बल्कि इससे हमारी सेहत को भी लाभ पहुंचता है।
* दिल के रोगों की संभावना कम होती है- यह पाया गया है की खून में लौह तत्व का स्तर बढ़ने पर हृदय रोग की संभावना बढ़ जाती है। नियमित तौर पर रक्तदान करने से फालतू लौह तत्व शरीर से बाहर (खासकर पुरुशों के मामले में) चला जाता है। इस प्रकार हृदयाघात का जोखिम एक तिहाई तक कम हो जाता है।
* नई लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन बढ़ता है- रक्तदान करने वाले व्यक्ति के शरीर से खून निकल जाने पर लाल रक्त कोशिकाओं में कमी आ जाती है। इनकी पुन: पूर्ति के लिए हमारी मज्जा तुरन्त नई कोशिकाओं के उत्पादन में लग जाती है और इस तरह हमारा खून स्वच्छ व नया हो जाता है।
* कैलोरी घटती है- नियमित तौर पर रक्तदान करके आप फिट रह सकते हैं। 450 मिली रक्तदान करने से आप अपने शरीर की 650 कैलोरी कम कर सकते हैं।
* प्राथमिक रक्त परीक्षण हो जाता है- इन सब फायदों के साथ रक्तदाता के खून का एक छोटा सा परीक्षण (रक्तदान के पूर्व व पश्चात्) भी हो जाता है। इसमें शामिल होते हैं- ऐचआईवी, ऐचबी स्तर की जांच, रक्तचाप, शरीर का वजन आदि।
रक्तदान से यूरिक अम्ल और केलस्ट्रोल की मात्रा भी नियंत्रित रहती है 

LOWER IRON LEVELS,Reduce the chance of heart diseases,Enhance the production of new Red Blood Cells,REPLENISH BLOOD'Helps in fighting hemochromitosis,Burns calories,Basic blood test is done & REDUCE CANCER RISK



कौन कौन कर सकता है रक्तदान : 


जिसकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच हो।
जिसका वजन (100 पौंड) 48 किलों से अधिक हो।
जो क्षय रोग, रतिरोग, पीलिया, मलेरिया, मधुमेंह, एड्स आदि बीमारियों से पीडित नहीं हो।
जिसने पिछले तीन माह से रक्‍तदान नहीं किया हो।
रक्‍तदाता ने शराब अथवा कोई नशीलीदवा न ली हो।
गर्भावस्‍था तथा पूर्णावधि के प्रसव के पश्‍चात शिशु को दूध पिलाने की 6 माह की अवधि में किसी स्‍त्री से रक्‍तदान स्‍वीकार नहीं किया जाता है।
आओ प्रतिज्ञा करें कि हम नियमित रक्तदाता बनेंगे
संदर्भ सूत्र :१.http://en.wikipedia.org/wiki/Blood_donation