क्यों
जरूरी है कैल्शियम ? Why calcium is important ?
कैल्शियम
यह जीवित प्राणियों के लिए अत्यावश्यक होता है। भोजन में इसकी समुचित मात्र होनी
चाहिए। खाने योग्य चूर्णातु दूध सहित कई खाद्य पदार्थो में मिलती है। खान-पान के
साथ-साथ चूर्णातु के कई औद्योगिक इस्तेमाल भी हैं जहां इसका शुद्ध रूप और इसके कई
यौगिकों का इस्तेमाल किया जाता है।
कैल्शियम
शरीर द्वारा मजबूत हड्डियों के निर्माण के लिए एक आवश्यक खनिज है और उन्हें अपने
जीवन भर में मजबूत रखने के लिए आवश्यक है। कैल्शियम भी ऐसे मांसपेशियों में संकुचन
के रूप में अन्य उद्देश्यों के लिए आवश्यक है।प्रत्येक युवा की यह तमन्ना होती है
कि उसकी भुजाएं बलिष्ठ हों और चेहरे से ज्यादा आकर्षण पूरे शरीर में दिखे। इसके
लिए वे तरह-तरह के व्यायाम करते हैं और अत्याधुनिक मशीनी सुविधाओं से सुसज्जित जिम
में भी जाते हैं । मगर क्या आप जानते हैं कि मजबूत भुजाएं और बलिष्ठ शरीर के लिए
किस तत्व की जरूरत है?
कैल्शियम
एक ऐसा तत्व है,
जिसे हर युवा को अपनाना चाहिए। लगभग सभी कैल्शियम (99 प्रतिशत) हड्डियों में संग्रहीत किया जाता है। शेष एक प्रतिशत के शरीर में
होता है। कैल्शियम का हमारे शरीर में खास महत्व होता
है। आइए देखते हैं हमारे भोजन में यह किस तरह से मिलता है और शरीर को मजबूती
प्रदान करता है । इसके महत्व को आमतौर पर सभी माताएं जानती हैं। बच्चों को दिन में
दो-तीन बार जबरन दूध पिलाने वाली आज की माताएं जानती हैं कि कैल्शियम उसकी बढ़ती
हड्डियों के लिए कितना जरूरी है।
वहीं
पुराने समय की या कम पढ़ी-लिखी ग्रामीण माताएं भी इतना तो अवश्य जानती थीं कि दूध
पीने से बच्चे का डील-डौल व कद बढ़ता है। यह बच्चे को चुस्त व बलिष्ठ भी बनाता है।
भले ही उन्हें दूध में पाये जाने वाले अनमोल कैल्शियम का ज्ञान न हो, जो बच्चों की हड्डियों, दांतों के स्वरूप, उनके आकार व उन्हें स्वस्थ व मजबूत बनाने में अति सहायक सिद्ध हुआ है। इसी
कैल्शियम की निरंतर कमी के कारण बच्चों के दांत, हड्डियां व
शरीर कमजोर हो जाते हैं।
आयुर्वेद
चिकित्सा पद्धति में भी कैल्शियम का बडा महत्व है। कैल्शियम को कमजोर व पतली
हड्डियों को मजबूत करने,
दिल की कमजोरी, गुर्दे की पथरियों को नष्ट
करने और महिलाओं के मासिक धर्म से संबंधित रोगों के उपचार में लाभकारी पाया गया
है।
खाद्य
पदार्थ ही कैल्शियम का अच्छा स्रोत हैं डेयरी उत्पाद, दूध, दही और पनीर और हरी पत्तेदार सब्जियां, जैसे कि गोभी और शलजम साग जैसे शामिल हैं।
दैनिक
भोजन में हमें कुछ पदार्थों से कैल्शियम तत्व मिल सकता है जैसे पनीर, सूखी मछली, राजमा, दही,
गरी गोला, सोयाबीन आदि।
इसी प्रकार दूध एक गिलास (गाय) से 260 मिलीग्राम,
दूध एक गिलास (भैंस) से 410 मिलीग्राम
कैल्शियम मिलता है।
प्रेशर
कुकर में पकाये गये चावल,
मोटे आटे की रोटी, टमाटर से हमें काफी
कैल्शियम मिल सकता है.
कैल्शियम
उचित मात्र में खाने से हमारी बुद्धि प्रखर होती है और तर्क शक्ति भी बढ़ती है. हरी
पत्तेदार सब्जियों में भी यह तत्व पाया जाता है।
कैल्शियम
की कमी के कारण
पाचन कमजोर होने से भोजन में से कैल्शियम का अवशोषण कम होना।
दैनिक आहार में कैल्शियमयुक्त पदार्थों की कमी।
महिलाओं को अधिक मासिक धर्म होना।
नवजात शिशुओं में स्तनपान का अभाव।
धूप, शारीरिक श्रम व यौगिक क्रियाओं का अभाव।
शकरयुक्त पदार्थों का अधिक सेवन।
पाचन कमजोर होने से भोजन में से कैल्शियम का अवशोषण कम होना।
दैनिक आहार में कैल्शियमयुक्त पदार्थों की कमी।
महिलाओं को अधिक मासिक धर्म होना।
नवजात शिशुओं में स्तनपान का अभाव।
धूप, शारीरिक श्रम व यौगिक क्रियाओं का अभाव।
शकरयुक्त पदार्थों का अधिक सेवन।
हमें
प्रतिदिन कैल्शियम तत्व निम्न रूप से लेना चाहिए-
*
गर्भवती व दूध पिलाने वाली महिलाओं के लिए 1200 मिलीग्राम।
*
6 मास से छोटे बच्चों के लिए 400 मिलीग्राम।
*
6 मास से 1 वर्ष के बच्चों के लिए 600 मिलीग्राम।
*
1 वर्ष से 10 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए 800
मिलीग्राम।
*
11 वर्ष से ऊपर सभी आयु वर्ग के लिए 1200 मिलीग्राम।
कैल्शियम की कमी के कुछ लक्षण
कन्धों
का झुकना।
कमर
में वक्रीय झुकाव।
कद
में कमी दर्ज होना।
कमर
में दर्द।
पेट
बाहर आना।
पोस्चर
मुद्रा का बदलना।
हड्डियों
का पोला,
कमजोर होकर टूटना।
झुकी
हुई कमर।
गलते
हुए दाँत।
बच्चों
के दाँत देरी से आना।
शरीर
में कमजोरी का बना रहना आदि
आहार
के संबंध में विशेष रूप से सतर्क रहें। फास्ट फूड, कोल्ड
ड्रिंक्स, तला-भुना, मिर्च-मसाला,
मैदे तथा शकर से बने पदार्थों से बचें। प्राकृतिक आहार जैसे अंकुरित
अनाज, मौसम के ताजे फल व सब्जियाँ, सलाद,
मोटे आटे की रोटी, डेयरी प्रोडक्ट को अपने
आहार में विशेष स्थान दें।
तो आओ और कैल्शियम को अपने भोजन में शामिल करें।
अंतर्जाल जानकारियों पर आधारित लेख