रविवार, 25 सितंबर 2011

क्या होता है यूरिक अम्ल ? What is Uric Acid ?

क्या होता है यूरिक अम्ल ? What is Uric Acid ?

विषमचक्रीय ऐमिनो अम्ल
यूरिक एसिड : कार्बन,हाईड्रोजन,आक्सीजन और नाईट्रोजन तत्वों से बना यह योगिक जिस का अणुसूत्र C5H4N4O3.यह एक विषमचक्रीय योगिक है जो कि शरीर को प्रोटीन से एमिनोअम्ल के रूप मे प्राप्त होता है.
प्रोटीनों से प्राप्त ऐमिनो अम्लों को चार प्रमुख वर्गों में विभक्त किया गया है 
1. उदासीन ऐमिनो अम्ल 
2. अम्लीय ऐमिनो अम्ल 
3. क्षारीय ऐमिनो अम्ल 
4. विषमचक्रीय ऐमिनो अम्ल.
यह आयनों और लवण के रूप मे यूरेट और एसिड यूरेट जैसे अमोनियम एसिड यूरेट के रूप में शरीर मे उपलब्ध है.
प्रोटीन एमिनो एसिड के संयोजन से बना होता है। पाचन की प्रक्रिया के दौरान जब प्रोटीन टूटता है तो शरीर में यूरिक एसिड बनता है जब शरीर मे प्यूरीन न्यूक्लिओटाइडों टूट जाती है तब भी यूरिक एसिड बनता है.
प्युरीन क्रियात्मक समूह होने के कारण यूरिक अम्ल एरोमेटिक योगिक होते हैं.
शरीर मे यूरिक अम्ल का स्तर बढ़ जाने की स्तिथि को hyperuricemia कहते हैं. 
हम प्रोटीन कहाँ से प्राप्त करते है और प्रोटीन क्यों जरूरी हो शरीर के लिए ये जानना भी जरूरी हो जाता है अब ? 
मनुष्यों और अन्य जीव जंतुओं के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी आहार है. इससे शरीर की नयी  कोशिकाएँ और नये ऊतक बनते हैं पुरानी कोशिकाओं और उत्तको की टूटफूट की मरम्मत के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी आहार है.  प्रोटीन के अभाव से शरीर कमजोर हो जाता है और कईं रोगों से ग्रसित  होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रोटीन शरीर को  ऊर्जा भी प्रदान करता है.
वृद्धिशील शिशुओं,बच्चो,किशोरों और गर्भवती स्त्रियों के लिए अतरिक्त प्रोटीन भोजन की मांग ज्यादा होती है परन्तु 25 वर्ष की आयु के बाद कम शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्तियों के लिए अधिक मात्रा मे प्रोटीन युक्त भोजन लेना उनके लिए यूरिक अम्लों की अधिकताजन्य दिक्कतों का खुला निमंत्रण साबित होते हैं.
रेड मीट(लाल रंग के मांस)सी फूड, रेड वाइन, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, पालक, मटर,पनीर,भिन्डी,अरबी,चावल आदि के अधिक मात्रा में सेवन से भी यूरिक एसिड बढ जाता है।
उच्च यूरिक एसिड के कारण : 
शरीर में यूरिक ऐसिड बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं
>भोजन के रूप मे लिए जाने वाले प्रोटीन प्युरीन और साथ मे उच्च मात्रा मे शर्करा का लिया जाना रक्त मे यूरिक एसिड की मात्रा को बढाता है.
>कई लोगों मे वंशानुगत कारणों को भी यूरिक एसिड के ऊँचे स्तर के लिए जिम्मेवार माना गया है.
गुर्दे द्वारा सीरम यूरिक एसिड के कम उत्सर्जन के कारण  भी इसका स्तर रक्त मे बढ़ जाता है. 
>उपवास या तेजी से वजन घटाने की प्रक्रिया मे भी अस्थायी रूप से यूरिक एसिड का स्तर आश्चर्यजनक स्तर  तक वृद्धि कर जाता हैं.
>रक्त आयरन की अधिकता भी यूरेट स्तर को बढ़ाती है जिस पर आयरन त्याग यानी रक्तदान से नियंत्रण किया जा सकता है.
> पेशाब बढ़ाने वाली दवाएं या डायबटीज़ की दवाओं के प्रयोग से भी यूरिक ऐसिड बढ़ सकता है.
उच्च यूरिक एसिड के नुकसान :
>इसका सबसे बड़ा नुकसान है शरीर के छोटे जोड़ों मे दर्द जिसे गाउट रोग के नाम से जाना जाता है.
मान लो आप की उम्र 25 वर्ष से ज्यादा है और आप उच्च आहारी हैं रात को सो कर सुबह जागने पर आप महसूस करते है कि आप के पैर और हाथों की उँगलियों अंगूठों के जोड़ो मे हल्की हल्की चुभन जैसा दर्द है तो आप को यह नहीं मान लेना चाहिये कि यह कोई थकान का दर्द है आप का यूरिक एसिड स्तर बड़ा हुआ हो सकता है. तो अगर कभी आपके पैरों की उंगलियों, टखनों और घुटनों में दर्द हो तो इसे मामूली थकान की वजह से होने वाला दर्द समझ कर अनदेखा न करें यह आपके शरीर में यूरिक एसिड बढने का लक्षण हो सकता है. इस स्वास्थ्य समस्या को गाउट आर्थराइट्सि कहा जाता है.
>अगर व्यक्ति की किडनी भीतरी दीवारों की लाइनिंग क्षतिग्रस्त हो तो ऐसे में यूरिक एसिड बढने की वजह से किडनी में स्टोन भी बनने लगता है.
गाउट आर्थराइट्सि गठिया का एक रूप :
 स्रोत: health.howstuffworks.com
गाउट एक तरह का गठिया रोग ही होता है.
जिस के कारण शरीर के छोटे ज्वाईन्ट्स प्रभावित होते .हैं
विशेषकर पैरों के अंगूठे का जोड़ और उँगलियों के जोड़ व उँगलियों मे जकड़न रहती है.
हालाँकि इससे एड़ी, टख़ने, घुटने, उंगली, कलाई और कोहनी के जोड़ भी प्रभावित हो सकते हैं.
 इसमें बहुत दर्द होता है.
जोड़ पर सुर्ख़ी और सूजन आ जाती है और बुख़ार भी आ जाता है. 
यह शरीर में यूरिक ऐसिड के बढ़ने से पैदा होती है. 
(पेशियों में जमा यूरिक एसिड क्रिस्टल, मस्क्युलर रिह्यूमेटिज्म के रूप में सामने आता है, तो जोड़ों के बीच जमा एसिड क्रिस्टल आरथ्राइटिस के रूप में जोड़ों के बीच एसिड क्रिस्टल जमा होने से चलने-फिरने पर चुभने जैसा दर्द और टीस होती है जोड़ों में जकड़न आ सकती है.) 
यह बढ़ा हुआ यूरिक एसिड रक्त के साथ शरीर के अन्य स्थानों मे पहुँच जाता है.
खास तौर पर हड्डियों के संधि भागों मे जाकर रावों के रूप मे जमा होना  शुरू हो जता है.
यह  जन्म देती है साध्य रोग शरीर के छोटे जोड़ों मे दर्द गाउट Gout को. 
जोड़ो मे जमा यूरिक एसिड के क्रिस्टल 
अगर यूरिक ऐसिड बढ़ जाए तो वह बहुत नन्हें-नन्हे क्रिस्टलों के रूप में जमा हो जाता है.
हड्डियों मे ख़ासतौर से जोड़ों के आस पास. 
ये क्रिस्टल बहुत ही धारदार होते हैं. 
जो की जोड़ों की चिकनी झिल्ली में चुभते हैं. 
चुभन और भयंकर दर्द पैदा करते हैं.  
गाउट रोग के कारण जोड़ों को घुमाने या गति उत्पन्न करने में कठिनाई महसूस होती है.
ठंडी या शीत हवाओं के कारण पीड़ा बढ़ जाती है.
इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है की इसमें रात में दर्द बढ़ जाता है और सुबह शरीर अकड़ता है.

बढ़ी हुई यूरिक एसिड की मात्रा भविष्य मे कईं अन्य रोगों का कारण बनती है जैसे,
गुर्दे मे पथरी 
मधुमेह (डायबिटीज़)
कार्डियोवस्कुलर रोग
मेटाबोलिक सिंड्रोम
http://www.ehow.com/info_8070243_foods-remove-acid-system.html
बचाव :
>यह प्रयास करें कि अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीया जाए, इससे रक्त में मौजूद अतिरिक्त यूरिक एसिड मूत्र  के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है. 
यदि दर्द बहुत ज्यादा है तो दर्द वाले स्थान पर बर्फ को कपडे मे लपेट कर सिंकाई करने से फायदा होता है. 
 खान-पान की आदत बदलें शरीर में जमा अतिरिक्त यूरिक एसिड को उदासीन करने के लिए खानपान में क्षारीय    पदार्थों की मात्रा को बढ़ाना चाहिए। फलोंहरी सब्जियों, मूली का जूस, दूधबिना पॉलिश किए गए अनाज इत्यादि में अल्कली की मात्रा अधिक होती है 
हमें संतुलित आहार लेंना चाहिएकार्बोहइड्रेटप्रोटीन, वसाविटमिन और खनिज सब कुछ सीमित और संतुलित मात्रा में होना चाहिए.आम तौर पर शाकाहारी भोजन(दाल-चावलरोटीसब्जी) संतुलित होता है और उसमें ज्यादा फेर-बदल की जरूरत नहीं होती.
नियमित व्ययाम इस समस्या से बचने का सबसे आसान उपाय है क्योंकि इससे शरीर में अतिरिक्त प्रोटीन जमा नहीं हो पाता.
इस समस्या से ग्रस्त लोगों को नियमित रूप से दवाओं का सेवन करते हुएहर छह माह के अंतराल पर यूरिक एसिड की जांच करानी चाहिए. 
> शाकाहारी बने.
> पोटाशियम युक्त भोजन पर केला नहीं.
> काबू ना आने पर चिकित्सक के परामर्श से दवाईयां लेना ना भूलें. 
खीरे के हरे जूस को इसके निवारण का बेहतर उपाय माना गया है 
देखें यह लिंक 
http://fitlife.tv/how-to-remove-uric-acid-crystalization-in-joints-gout-and-joint-pain/ 

रविवार, 18 सितंबर 2011

क्या सच है वैश्विक शीतलन?What Is Global Cooling?

क्या सच है वैश्विक शीतलन ? What  Is  Global Cooling ?
u4mix.com
मानवीय क्रियाकलाप और क्या क्या दिन दिखाएँगे अभी यह अनुमान लगाना जरूरी है पिछले अनुभव बताते हैं कि जब जब बर्फ तेजी से पिंघली है उस के बाद ठण्ड अचानक बढ़ी है.
ग्लोबल वार्मिंग के दौरान बर्फ पिंघली है और उस के पिंघलने के बाद फिर ठंडक पैदा होगी तो वो स्तिथि ग्लोबल कूलिंग कहलाएगी.
हम उत्तर भारत की स्तिथि पर गौर करें तो गत वर्षों मे ठण्ड बढ़ी है लोगों को ये कहते सुना है कि इस बार जैसी ठण्ड तो जिंदगी मे पहली बार देखी है.
जब सं २००५ मे मुंबई मे अचानक बर्फबारी देखी तो लोग सकते मे आ गए, 
२००४ मे शिवालिक की निचली चोटियों,पर्वतों पर बर्फ बिछ गयी जिसने कि मौसमविदो को चौंका दिया, सन्  २००८ मे भारतीय कृषि शोध संस्थान पूसा के खेतों मे व गत वर्ष इंडिया गेट दिल्ली के पास बर्फ के कण गिरे देखे गए.
angryconservative.com
शोध बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिग के साईड इफेक्ट के रूप मे ग्लोबल कूलिंग भी पृथ्वी का दरवाजा खटखटा रही है.
आप ब्रिटेन में क्या हुआ यह देखो,दस साल पहले ब्रिटेन के लिए ग्लोबल वार्मिंग के संदर्भ में यह कहा गया था और कि अब ब्रिटेन मे बर्फ अतीत की बात होगी परन्तु इस सर्दी मे दिसंबर 2010 मेंलगभग एक महीने के लिए में पूरा ब्रिटेन कूलिंग के कारण अपंगता जैसी स्तिथि मे आ गया था.  
अगले 2-3 दशकों मे ही वैश्विक ठण्ड वैश्विक उष्मन की अपेक्षा अधिक हो जाएगी जो कि हानिकारक है ग्लोबल वार्मिंग की  तुलना में.
१९७० के दशक मे जब पहली बार ग्लोबल कूलिंग का जिक्र आया तो वैज्ञानिकों की मिश्रित सी प्रतिक्रिया थी परन्तु आज जब वैश्विक उष्मन के चरम को झेल चुकी पृथ्वी तप कर गर्म हो जानी चाहिए थी ऐसी स्तिथि मे वैश्विक शीतलन दस्तक दे रही है.
वैज्ञानिकों की रिपोर्ट्स के अनुसार माना जा रहा है कि पृथ्वी पर खड़ा दो तिहाई पानी कभी भी ठंडा हो कर बर्फ बनने की स्तिथि मे आ सकता है जब यदि दक्षणी ध्रुव की चोदह सो फीट मोटी बर्फ की परत यदि पिंघल जाती है तो हिंद महासागर मे २०० मीटर पानी उपर चढ़ जायेगा जिसके परिणाम स्वरूप पिंघली बर्फ की ठण्ड के कारण भीषण ग्लोबल कूलिंग का सामना करना पडेगा.
एयरोसोल्ज यानि जीवाश्म इंधनो के दहन से उत्पन्न छोटे कण की वातावरण में संख्या बढ़ जाती हैजो कि सौर विकिरण के तापीय घटक को वापिस अंतरिक्ष मे भेज देते हैं जिस कारण सौर उष्मा का मान कम हो जाता है जो कि वैश्विक शीतलन का सीधा सीधा संकेत है. 
http://climatechangedispatch.com
यहाँ तक की  नेल्सन मंडेला मेट्रोपोलिटन विश्वविद्यालय के एक सेवानिवृत्त भौतिकी के प्रोफेसर ग्लोबल वार्मिंग के सिद्धांत को अस्वीकार कर दिया है, उनका तर्क है कि वैश्विक तापमान वास्तव में ठण्ड की और अग्रसर है. उन्होंने कहा "राजनेता, ग्रीनपीस और मीडिया इन ग्लोबल वार्मिंग झूठ के लिए जिम्मेदार हैं." उन्होंने जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में एक खतरनाक वृद्धि की चेतावनी का मजाक उड़ाया है और साफ़ तौर पर कहा है कि जलवायु परिवर्तन के झूठ को इस तरह से लोगों के बीच वैध पर्यावरण चिंताओं के रूप मे  राजनीतिक और वित्तीय एजेंडे को आगे करने के लिए चालाकी से किया गया है जिसका सीधा सीधा नुकसान विकासशील देशों को होगा जो कि सब्सिडी प्राप्त कर रहे थे वो निकाल बाहर किये जायेंगे.
इस वक्तव्य से तो स्पष्ट होता है कि ग्लोबल वार्मिंग झूठ का सफ़ेद हाथी खड़ा किया गया है जबकि पृथ्वी और वैश्विक प्रवृत्ति शीतलन की है ना कि उष्मन की इतिहास इसका गवाह है पृथ्वी को कईं हिम युगों को झेलना पड़ा है . 
अब वैज्ञानिक चेतावनियों मे कितनी सच्चाई है यह तो भविष्य के गर्त मे छिपा है परन्तु एक बात सच है कि मानवीय प्रदूषणकारी क्रियाकलाप इस पृथ्वी पर एक और हिमयुग लाने की तैयारी पूरी कर चुके हैं.