गुरुवार, 9 जून 2011

क्या होते हैं प्रतिजैविक पदार्थ ? What are the antibiotics ?

क्या होते हैं प्रतिजैविक पदार्थ ? What are the antibiotics ?
छोटी कक्षाओं मे  पढते थे कि प्रतिजैविक पदार्थ वे पदार्थ होते हैं जो सुक्ष्म जीवों से उत्पन्न हो और सूक्ष्म जीवों के लिए ही घातक हो उन्हें  प्रतिजैविक पदार्थ कहते हैं.
इस साधारण परिभाषा मे ही छिपा है इसकी खोज का राज़.
आओ जाने क्या होते हैं  प्रतिजैविक पदार्थ,
प्रतिजैविक पदार्थ यानी एंटीबायोटिक्स वे पदार्थ है जो  एंटीबायोसिस कहे जाने वाले एंटीबायोटिक्स वैसी दवाएं हैं, जो बैक्टीरिया के खिलाफ काम करती हैं. एंटीबायोसिस शब्द का मतलब है "जीवन के खिलाफ" और  जिन की खोज के बाद मनुष्य की ओसत आयु बढ़ी है पहले छोटी छोटी बीमारियों से ही मर जाया करते थे परन्तु चिकत्सा जगत मे प्रतिजैविक पदार्थ के पदार्पण से तस्वीर ही बदल गयी इलाजों की.
एंटीबायोटिक  प्रतिजैविक एक पदार्थ या यौगिक है, जो जीवाणु को या तो  मार डालता है या उसके विकास को ही रोक देता है. प्रतिजैविक कृत्रिम और प्राकृतिक दोनों तरीकों से बनाए जा सकते हैं.
 कृत्रिम- जैसे सल्फोनामाइड्स, प्राकृतिक- जैसे पेनिसिलिन
आओ अब जाने पहले प्रतिजैविक पदार्थ पेनिसिलिन की खोज कैसे हुई ?
अलेक्जेंडर फ्लेमिंग 
पहले प्राकृतिक एंटीबायोटिक- पेनिसिलिन की खोज 1928 में अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने की. फ्लेमिंग का जन्म 6 अगस्त 1881 को हुआ था. 
परन्तु "एंटीबायोटिक" शब्द का प्रयोग 1942 में सेलमैन वाक्समैन द्वारा किया जा चुका था वह पदार्थ जो किसी  एक सूक्ष्म जीव द्वारा उत्पन्न किये गये ठोस या तरल पदार्थ हो और जो उच्च तनुकरण में अन्य सूक्ष्मजीवों के विकास के विरोधी होते हैं या फिर उन्हें मार गिराते है. 
जो जीवाणुओं को मारते हैं, उन्हें जीवाणुनाशक जर्मिसिडिन एजेंट कहा जाता है और जो जीवाणु के विकास को दुर्बल करते हैं, उन्हें बैक्टीरियोस्टेटिक एजेंट कहा जाता है. 
विश्व की सबसे पहली एंटीबायोटिक  प्रतिजैविक दवा पेनिसिलिन है इसकी खोज पर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग को नोबुल प्रुस्कार भी मिला था. 
http://hi.wikipedia.org
अलेक्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा स्टैफिलोकोकी नामक बैक्टीरिया पर शोध करते  हुए यह पाया कि  बैक्टीरिया कल्चर  प्लेट पर थोड़ी सी फंफूंदी उगी हुई  है। और  जितनी दूर यह पेनेसिलियम नामक फंफूदी उगी हुई थी उतनी दूर बैक्टीरिया नहीं थे । 
Penicillium notatum
उसने इस पेनेसिलियम नामक फंफूदी पर और शोध किया  और पाया कि यह बैक्टीरिया को नष्ट  में पूरी तरह सक्षम है.  पेनेसिलियम  से निकलने वाले द्रव ने प्लेट पर पड़े जीवाणुओं की गतिविधियों को धीमा कर दिया और आश्चर्यजनक तरीके से आसपास के जीवाणु या तो मर गए या फिर दूर हट गए.
शुरूआत में अलेक्जेंडर फ्लेमिंग मोल्ड जूस का नाम दिया  जो बाद में पेनिसिलीन में के नाम से विख्यात हुआ.
यही थी विश्व की पहली एण्टीबायोटिक प्रतिजैविक दवा पेनिसिलिन.बहुत अधिक खर्चीली और जटिल प्रक्रिया होने  के कारण फ्लेमिंग ने अपना शोध कार्य धीमा कर दिया था.  
Penicillium mold colony.
परन्तु कुछ वर्षों बाद दो अन्य शोधार्थियों के प्रयासों से विश्व इस दुर्लभ संजीवनी से रूबरू हो पाया.यहाँ एक बात बकौल काबिलेगौर है; पेनिसिलिन के रूप में पहले एंटीबॉयोटिक की खोज का श्रेय भले ही सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग को जाता हो,
परन्तु उनके काम पर 1928 में अलेक्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा पेनिसिलिन की खोज किये जाने तक वैज्ञानिक समुदाय ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया. यहां तक कि तब पेनिसिलिन की चिकित्सीय क्षमता पर पूरा विश्वास नहीं था. उसके दस साल बाद, अर्नस्ट चेन और  ऑस्ट्रेलियाई औषध विज्ञानी होवार्ड वाल्टर फ्लोरे ही थे, जिन्होंने उनके शोध को आगे बढ़ाते हुए इसे पृथक अवस्था में प्राप्त किया। चेन व फ्लोरे ने ही वर्ष 1941 में 12 फरवरी को पेनिसिलिन का इंसान पर पहला परीक्षण किया था.
उन्होंने यह परीक्षण 43 वर्षीय अल्बर्ट अलेक्जेंडर नामक एक शख्स पर किया था, जिसके चेहरे पर गुलाब की कंटीली झाड़ियों से खरोंचें आ गई थीं।
इनमें जीवाणुओं का इतना संक्रमण फैल गया था कि चेहरे पर जगह-जगह फोड़े हो गए और उसकी एक आंख तक निकालनी पड़ी। अल्बर्ट को भीषण दर्द था और तमाम दवाइयां बेअसर साबित हो रही थीं। लिहाजा उसने इस नई औषधि से खुद के ‘इलाज’ की इजाजत दे दी। पेनिसिलिन का पहला इंजेक्शन लगाने के चार दिनों के भीतर ही उसकी हालत में जबरदस्त सुधार आया और घाव भी भरने लगे। लेकिन इसकी सीमित मात्रा उपलब्ध होने की वजह से उपचार रोकना पड़ा, जिसके चलते संक्रमण दोबारा बढ़ गया और चार हफ्ते बाद ही उसकी मौत हो गई।  
फ्लोरे और चैन ने पेनिसिलिन को शुद्ध करने में कामयाबी पाई. इस शुद्ध किये गये एंटीबायोटिक ने जीवाणुओं की एक विस्तृत श्रृंखला के खिलाफ जीवाणुरोधी गतिविधि का प्रदर्शन किया. इसमें विषाक्तता भी कम थी और प्रतिकूल प्रभाव पैदा किये बिना इन्हें लिया जा सकता था. इसके अलावा, इसकी गतिविधि मवाद जैसे जैविक घटकों से अवरुद्ध नहीं होती थी, जैसा कि उस समय उपलब्ध सिंथेटिक एंटीबायोटिक सल्फोनामाइड के प्रयोग से होता था. इतनी ताकतवर एंटीबायोटिक पेनिसिलिन की खोज अभूतपूर्व थी. 
सभी चित्र गूगल से साभार    

13 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया जानकारी...आभार.

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (11.06.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

शिक्षामित्र ने कहा…

इतनी बार सुनते,कहते रहे पर पहली बार इतने विस्तार से यहीं पढ़ा।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

इस महत्‍वपूर्ण जानकारी के लिए आभार।

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हॉट मॉडल केली ब्रुक...
यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है...

ZEAL ने कहा…

nice & informative post.

दिगम्बर नासवा ने कहा…

अच्छी जानकारी दी है आपने ..

यशवन्त माथुर (Yashwant Raj Bali Mathur) ने कहा…

कल 22/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है-
आपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल

शिक्षामित्र ने कहा…

अच्छा बताया आपने। सिलसिलेवार,काम की जानकारी।

बेनामी ने कहा…

खैर, वह यह है कि अपने ब्लॉग पर मेरी पहली बाहर की जाँच! हम स्वयंसेवकों के एक समूह रहे हैं और सटीक एक ही जगह में एक क्षेत्रीय समुदाय में ब्रांड नई पहल शुरू. आपके ब्लॉग में हमें बहुमूल्य जानकारी पर काम की आपूर्ति की. तुम एक अद्भुत काम किया है!

बेनामी ने कहा…

यह किसी को भी, जो इस विषय के बारे में जानना चाहता है के लिए एकदम सही ब्लॉग है. आप तो इसकी लगभग मुश्किल ज्यादा पता करने के लिए आप के साथ बहस के लिए (मैं सच है कि नहीं चाहेगा ... haha). तुम निश्चित रूप से एक विषय पर एक नए स्पिन डाल thats के बारे में वर्षों के लिए लिखा गया है. महान चीज है, सिर्फ महान!

बेनामी ने कहा…

तुम निश्चित रूप से कुछ सहमत राय और विचार है. आपके ब्लॉग के विषय में एक ताजा देखो प्रदान करता है.

Unknown ने कहा…

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Unknown ने कहा…

oh... its nice
you giving knowledge to peoples about science i like it.