क्या होते है अंगराग,सोंदर्य प्रसाधन? what is cosmetics ?
http://hi.wikipedia.org |
प्राचीन काल से ही सुंदर दिखने की चाह में मानव जाति ने अपने शरीर को सजाने और साफ़ रखने के लिए विभिन्न पदार्थों का प्रयोग किया है, अपने शरीर को सजाने और साफ़ रखने के लिए प्रयोग की जाने वाली विभिन्न वस्तुओं को अंगराग कहते है|
मनुष्य ने अपने अंगों को आकर्षक.साफ़,स्वच्छ,सुडोल,सुंदर,त्वचा को चमकदार,सुकोमल,दीप्तिमय,मृदु और कांतियुक्त रखने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहा है वैसे तो किसी मनुष्य का सौंदर्य उसकी मानसिक शुद्धि और आंतरिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है फिर भी ये अंगराग और विभिन्न सुगंधे भी उस के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने के लिए विशेष महत्व रखती है |
आधुनिक काल में तो विभिन्न अंगरागों का उपयोग विभिन्न शारीरिक दोषों को दुरुस्त करने के लिय भी किया जा रहा है हम इन अंगरागों को ओपचारिक सोंदर्य प्रसाधनों के रूप में भे जान सकते है परन्तु इस में वे उपकरण नहीं आते है जैस कैंची ,उस्तरा, कंघी, विभिन्न प्रकार के ब्रुश,बल कचोटने की चिमटी आदि
तो फिर अंगरागों में आते है बाल सवारने के विभिन्न शैम्पू,खुशबुदार तेल,दाड़ी बनाने की क्रीम जेल साबुन,विलेपन(क्रीम),उबटन,पसीना कम करने वाले टेळक,डीयोडरेन्ड,रंजनशलाका, बिंदी, काजल,मस्कारा, आदि परन्तु नहाने के साबुन और रूम फ्रेशनर्स नहीं |
मनुष्य के शरीर से एक स्निग्ध तरल पदार्थ निकलता है 24 घंटों में यह मात्र 2 ग्राम होता है इसमें वसा जल लवण और नाईट्रोजनयुक्त पदार्थ होते है यदि तवचा से यह रिसाव पर्याप्त मात्रा में होता रहे तो बाल और त्वचा कान्तिमान रहती है |
यह कांति बनाए रखने का एकमात्र सरल उपाय है व्यायाम, व्यायाम करने से शरीर से प्रचुर मात्रा में पसीने के साथ स्निग्ध तरल पदार्थ निकलता है जिस कारण बाल त्वचा कांतिमय बनी रहती है और त्वचा के छिद्रों में फसी मैल भी निकल जाती है
आजकल के बच्चों, किशोरों और युवाओं के व्ययामशील ना होने के कारण और प्रदूषण के शिकार होने के कारण त्वचा सूखी या फिर मैल युक्त मुहांसो भरी होती है इन को उपचारित करने के लिए विभिन्न फेसवाश के लवणयुक्त क्षार त्वचा को हानि पहुंचाते हैं|
आजकल के बच्चों, किशोरों और युवाओं के व्ययामशील ना होने के कारण और प्रदूषण के शिकार होने के कारण त्वचा सूखी या फिर मैल युक्त मुहांसो भरी होती है इन को उपचारित करने के लिए विभिन्न फेसवाश के लवणयुक्त क्षार त्वचा को हानि पहुंचाते हैं|
कुछ परम्परागत अंगराग
मेहँदी,चंदन,हल्दी,लस्सी,दही,अंडा,कपूर,वनस्पतितेल,कुमकुम,गुलाबजल,निम्बू,आवला,रीठा,शिकाकाई आदि
2 टिप्पणियां:
शानदार हिंदी में समझाया आपने, मेरा एक दोस्त है, उसका नाम है सौरव बवेजा, हिसार से. आपके नाम से वो याद आ गया.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
मिलिए हमारी गली के गधे से
कौन मानता है। बस लगाए जाओ।
एक टिप्पणी भेजें