क्यूँ खास है आज का दिन २ अप्रैल ?
२ अप्रैल १९८४ को प्रथम भारतीय को अंतरिक्ष यात्री बनने का अवसर मिला था और वो थे राकेश शर्मा ,राकेश शर्मा भारत के पहले और विश्व के 138वें अंतरिक्ष यात्री हैं।
राकेश शर्मा की उड़ान ने भारत को दुनिया के ऐसे 14 देशों की सूची में शामिल किया था, जिनकी अंतरिक्ष में धाक जमी हुई थी।
विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) राकेश शर्मा का जन्म पटियाला, पंजाब, भारत में 13 जनवरी 1949को हुआ था यह पहले भारतीय और दुनिया के लिए 138 वे अंतरिक्ष यात्री थे|
35 वर्षीय राकेश शर्मा ने 1984 में एक ऐतिहासिक मिशन पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) और सोवियत इंटरकोसमोस अंतरिक्ष कार्यक्रम के अंतर्गत एक संयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम में दो अन्य सोवियत cosmonauts के साथ सोयुज टी -11 यान में अंतरिक्ष में आठ दिन की यात्रा 2 अप्रैल 1984 को शुरू की थी |
2 अप्रैल 1984 का वो ऐतिहासिक दिन जब सोवियत संघ के बैकानूर से सोयूज टी-11 ने तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरी। भारतीय मिशन की ओर से थे-राकेश शर्मा, अंतरिक्ष यान के कमांडर थे वाई.वी.मालिशेव और फ्लाइट इंजीनियर जी.एम स्ट्रकोलॉफ। सोयूज टी-11 ने तीनों को सोवियत रुस के ऑबिटल स्टेशन सेल्यूत-7 में पहुंचा दिया।
तीनों अंतरिक्ष यात्रियों ने ‘स्पेस स्टेशन’ से मॉस्को और नई दिल्ली से साझा संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया। ये ऐसा पल था जिसे करोड़ो भारतवासियों ने अपने टेलीविजन सेट पर देखा और संजो लिया।
इसी दौरान अंतरिक्ष से एक प्रसिद्ध बातचीत में उनसे जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूछा था कि भारत अंतरिक्ष कैसा दिखता है तो उन्होंने जवाब दिया, "सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा"
(यानी कि पूरी दुनिया से बेहतर) |
भारत और सोवियत संघ की मित्रता के गवाह इस संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के दौरान राकेश ने भारत और हिमालय क्षेत्र की फोटोग्राफी भी की।
अंतरिक्ष से उनकी वापसी पर उन्हें सोवियत संघ के हीरो के सम्मान से नवाजा गया था. भारत सरकार ने अपने सर्वोच्च वीरता (शांति समय के दौरान) पुरस्कार अशोक चक्र और उस मिशन के अन्य दो सदस्यों रूसी यात्रियों को भी सम्मानित किया गया |
श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से ‘चंद्रयान प्रथम’ के सफल प्रक्षेपण पर भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने कहा था कि, “हमें ये नहीं भूलना चाहिए की आज जब इसका प्रक्षेपण हुआ है, तो आज से 40 साल पहले ही इंसान चांद पर पहुंच चुका था। इस संदर्भ में देखें तो ये अनुसंधान के दायरे को कई हद तक बढ़ाता है। यह प्रक्षेपण हमारे अंतिरक्ष परियोजनाओं के लिए कई दृष्टि से महत्वपूर्ण है।”
यात्रा से आने के बाद राकेश शर्मा हिंन्दुस्तान एरोनेट्किस लिमिटेड में टेस्ट पायलट के तौर पर कार्य करते रहे, जिस दौरान वो एक हादसे में भी बाल-बाल बचे।
आजकल श्री राकेश शर्मा ऑटोमेटेड वर्कफ्लोर कम्पनी के बोर्ड चेयमैन की हैसियत से काम कर रहे हैं।

राकेश शर्मा की उड़ान ने भारत को दुनिया के ऐसे 14 देशों की सूची में शामिल किया था, जिनकी अंतरिक्ष में धाक जमी हुई थी।
विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) राकेश शर्मा का जन्म पटियाला, पंजाब, भारत में 13 जनवरी 1949को हुआ था यह पहले भारतीय और दुनिया के लिए 138 वे अंतरिक्ष यात्री थे|
35 वर्षीय राकेश शर्मा ने 1984 में एक ऐतिहासिक मिशन पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन(ISRO) और सोवियत इंटरकोसमोस अंतरिक्ष कार्यक्रम के अंतर्गत एक संयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम में दो अन्य सोवियत cosmonauts के साथ सोयुज टी -11 यान में अंतरिक्ष में आठ दिन की यात्रा 2 अप्रैल 1984 को शुरू की थी |
2 अप्रैल 1984 का वो ऐतिहासिक दिन जब सोवियत संघ के बैकानूर से सोयूज टी-11 ने तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उड़ान भरी। भारतीय मिशन की ओर से थे-राकेश शर्मा, अंतरिक्ष यान के कमांडर थे वाई.वी.मालिशेव और फ्लाइट इंजीनियर जी.एम स्ट्रकोलॉफ। सोयूज टी-11 ने तीनों को सोवियत रुस के ऑबिटल स्टेशन सेल्यूत-7 में पहुंचा दिया।
तीनों अंतरिक्ष यात्रियों ने ‘स्पेस स्टेशन’ से मॉस्को और नई दिल्ली से साझा संवाददाता सम्मेलन को भी संबोधित किया। ये ऐसा पल था जिसे करोड़ो भारतवासियों ने अपने टेलीविजन सेट पर देखा और संजो लिया।
इसी दौरान अंतरिक्ष से एक प्रसिद्ध बातचीत में उनसे जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूछा था कि भारत अंतरिक्ष कैसा दिखता है तो उन्होंने जवाब दिया, "सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा"
(यानी कि पूरी दुनिया से बेहतर) |
भारत और सोवियत संघ की मित्रता के गवाह इस संयुक्त अंतरिक्ष मिशन के दौरान राकेश ने भारत और हिमालय क्षेत्र की फोटोग्राफी भी की।
अंतरिक्ष से उनकी वापसी पर उन्हें सोवियत संघ के हीरो के सम्मान से नवाजा गया था. भारत सरकार ने अपने सर्वोच्च वीरता (शांति समय के दौरान) पुरस्कार अशोक चक्र और उस मिशन के अन्य दो सदस्यों रूसी यात्रियों को भी सम्मानित किया गया |
श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से ‘चंद्रयान प्रथम’ के सफल प्रक्षेपण पर भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने कहा था कि, “हमें ये नहीं भूलना चाहिए की आज जब इसका प्रक्षेपण हुआ है, तो आज से 40 साल पहले ही इंसान चांद पर पहुंच चुका था। इस संदर्भ में देखें तो ये अनुसंधान के दायरे को कई हद तक बढ़ाता है। यह प्रक्षेपण हमारे अंतिरक्ष परियोजनाओं के लिए कई दृष्टि से महत्वपूर्ण है।”

आजकल श्री राकेश शर्मा ऑटोमेटेड वर्कफ्लोर कम्पनी के बोर्ड चेयमैन की हैसियत से काम कर रहे हैं।
6 टिप्पणियां:
** धन्यवाद इस महत्वपूर्ण उपलब्धि को फिर से हमसे रू-ब-रू कराने के लिए।
बच्चो, विज्ञान से संबंधित कुछ रोचक प्रश्नोत्तर नीचे दिये जा रहे हैं जो तुम्हारे ज्ञान में वृद्धि करने में सहायक सिद्ध होंगे।
0 अंगूर को दवा क्यों माना जाता है?
—जिन बड़े-बड़े भयंकर एवं जटिल रोगों में किसी प्रकार का कोई पदार्थ खाने-पीने को नहीं दिया जाता है उसमें अंगूर का सेवन बताया जाता है। अंगूर कैंसर, टीवी, पायरिया, सूखा रोग, रक्त विकार, बार-बार मूत्र त्याग एवं दुर्बलता आदि में दिया जाता है। अंगूर सूख जाने पर किशमिश बन जाता है जो अंगूर की भांति ही गुणकारी है। अंगूर के प्रयोग से जुकाम, गठिया, खांसी आदि रोगों में भी राहत मिलती है।
0 अनानास को गुणकारी फल क्यों कहते हैं?
— अनानास एक गुणकारी मधुर फल है। यह मुरब्बों, चाट, जैम आदि के रूप में प्रयुक्त होता है। इसका रस लाभदायक होता है। अनानास कृमिनाशक है। इसके अतिरिक्त डिप्थीरिया, फुंसियों, अजीर्ण, शरीर की सूजन आदि में यह लाभदायक है। यह शरीर की घबराहट दूर करके शक्ति प्रदान करता है। इसमें प्रोटीनयुक्त पदार्थों को पचाने की क्षमता भी पायी जाती है।
0 मधु गुणों से भरपूर क्यों रहता है?
— मधु एक अद्भुत टॉनिक है जो अपने में जर्बदस्त रोग निवारक गुणों का समावेश किए रहता है। मधु में 17 से 23 प्रतिशत पानी, अंगूरों की शर्करा और फलों की शर्करा 65 प्रतिशत रहती है। इनके अतिरिक्त मधु में पोटेशियम, गंधक, कैल्शियम, सोडियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, सिलिका, लोहा, तांबा, मैग्नीज आदि धातुएं विद्यमान रहती हैं। बालों व त्वचा का सौंदर्य बढ़ाने में मधु कारगर है। यह चर्म रोगों एवं फोड़े-फुंसियों के इलाज में भी सहायक है।
0 एलर्जी हानिकारक क्यों मानी जाती है?
—तुम्हारा शरीर कुछ चीजों के प्रति अति संवेदनशील रहता है जिसे एलर्जी की संज्ञा दी जाती है। एलर्जी से कई बीमारियां हो जाती हैं जैसे— दमा, हे-फीवर, शरीर में चकते निकलना एवं त्वचा संबंधी बीमारियां। एलर्जी में एओसिनोफीलिया की संख्या बढ़ जाती है जो हानिकारक होती है।
-घमंडीलाल अग्रवाल
राकेश शर्मा जी के बारे में ताज़ा जानकारी देने के लिए आभार।
विटामिन "डी" की कमी से सख्त होती हैं धमनियां
वाशिंगटन। विटामिन "डी" की कमी आपकी धमनियों को कठोर बना सकती है। एक नए अध्ययन के मुताबिक लोगों के शरीर में विटामिन "डी" की कमी धमनियों को सख्त बना सकती है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक "जॉर्जिया टैक प्रीडिक्टिव हेल्थ इंस्टीट्यूट" द्वारा किए गए इस अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि विटामिन "डी" की कमी से रक्त वाहिनियों के स्वास्थ्य पर असर प़ड सकता है, इससे रक्तचाप बढ़ सकता है और दिल की बीमारियां हो सकती हैं।
अध्ययन में शामिल जिन प्रतिभागियों ने विटामिन "डी" की उच्चा मात्रा ली उनकी रक्त वाहिनियों के स्वास्थ्य में सुधार देखा गया और उनका रक्तचाप भी कम हो गया था। अध्ययन में संस्थान के करीब 550 कर्मचारी शामिल हुए थे। न्यू ओरलिएन्स में अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के वार्षिक सम्मेलन में शोधकर्ता इब्हर अल मेहद ने रविवार को ये आंक़डे पेश किए थे।
विश्वकप की तरह ही अब कोई नया नाम सामने आना चाहिए।
-------- यदि आप भारत माँ के सच्चे सपूत है. धर्म का पालन करने वाले हिन्दू हैं तो
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क्या यही सिखाता है इस्लाम...? क्या यही है इस्लाम धर्म
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