मंगलवार, 25 जनवरी 2011

जुगनू कैसे चमकता है ? How Firefly shines ?

जुगनू कैसे चमकता है ? How Firefly shines ?

jugnu प्रकृति में बहुत से जीव और वनस्पतियां स्व प्रकाश उत्पन्न करते है जीव जो  प्रकाश (पीला, हरा, लाल) उत्पन्न करते है उसको जीवदीप्ति (Bio-luminescence) कहते है जीवदीप्ति बिना गर्मी का प्रकाश होता है ये प्रकाश शीतल होता है

जीवों में मुख्यतः कुछ मोल्स्कन,स्पंज,जेली फिश,केकड़े व कुछ जाति

की मछलियाँ,lightning bugs प्रकाश उत्पन्न करते है|

पहले तक यह माना जाता रहा कि जीव फास्फोरस के कारण चमकते है लेकिन बाद में पता चल गया कि फास्फोरस के कारण ऐसा नहीं होता है|

सन् 1794 में इटैलियन वैज्ञानिक स्पेलेंज़ानी ने सिद्ध किया कि जीवों में प्रकाश उनके शरीर में होने वाली रासायनिक क्रियाओं के कारण होता है ये रासायनिक क्रियाएँ मुख्यत पाचन से सम्बन्धित होती है|

यह फोटोजेन  या ल्युसिफेरिन  रसायन होता है|

इन रासायनिक क्रियाओं के कारण मुख्यत दो पदार्थ बनते है|

ल्यूसिफेरिन और ल्युसिफेरेस

आक्सीकरण क्रिया के फलस्वरूप ल्यूसिफेरिन नामक प्रोटीन आक्सीकृत हो कर चमक उत्पन्न करती है |

जुगनू दो प्रकार के होते है,

1. लैपरिड

2. क्लिक बीटल

ऐसी क्या जरूरत पडी कि जुगनू या अन्य जीवों के अंदर चमकने जैसी क्रिया विकसित हुई?

अभी सही सही नहीं पता है,

यह चमक जुगनूओं को अपना आहार बनाने और आहार बनने से बचने दोनों काम आता है नर मादा जोड़ा बनाने यानी मेंटीग के लिए आकर्षण उत्पन्न करते है या दूसरे जानवरों का शिकार करने के लिये इसका उपयोग करते हैं बार बार एक निश्चित अंतराल के बाद उत्पन्न लाईट फ्लश परभक्षियों को भ्रमित करती है ये ही सब चमकने के उपयोग है|

वैज्ञानिक जुगनुओं की इस विशेष प्रोटीन से काफी नए शोध की उम्मीदे लगाएं बैठे है वैज्ञानिकों ने fireflies की चमकने वाली  प्रोटीन का इस्तेमाल कैंसर, autoimmune रोग और कई अन्य बीमारियों का इलाज की दवाओं के लिए किया है|

देखते है कवियों,साहित्यकारों और  नग्मानिगारों को कितने ही ख्याल देने वाला जुगनू वैज्ञानिकों को क्या देता है|

17 टिप्‍पणियां:

आशीष मिश्रा ने कहा…

बहोत ही अच्छी जानकारी

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

ZEAL ने कहा…

Beautiful and informative post .
thanks

pankaj chotani ने कहा…

very good............

ePandit ने कहा…

बढ़िया जानकारी, चमकते जुगनू हमेशा ही बच्चों के मन में कौतूहल पैदा करते हैं। अब कोई बच्चा पूछे तो आपकी पोस्ट दोबारा पढ़कर कुछ तो बता सकेंगे।

Darshan Lal Baweja ने कहा…

Mosin Shrma
: year in 1794, one scientist has proved that the organisms in their body 2 light the chemical reactions caused by chemical actions that r primarily related 2 digestion.....
22 hours ago · UnlikeLike · 1 person

शिक्षामित्र ने कहा…

जुगनुओं का इस्तेमाल कैंसर के लिए किए जाने का मामला पहली बार जाना। जुगनू की तस्वीर इतनी मस्त है कि लगता है मानो पीएसएलवी से कोई उपग्रह बस उड़ान भरने को तैयार है।

Rajesh Kumar 'Nachiketa' ने कहा…

ये तो मस्त है....मैं भी chemical reactions के बारे में जानता था जुगनू की रोशनी की बारे में.....

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी ...

संगीता पुरी ने कहा…

अच्‍छी जानकारी !!

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी मिली।

कुमार राधारमण ने कहा…

सीखने के लायक बहुत कुछ है जुगनू में। डर है कि वैज्ञानिकों के लिए उपयोगी साबित होने की स्थिति में इसका अस्तित्व न संकट में पड़ जाए।

Shabad shabad ने कहा…

इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद !

अंकित कुमार पाण्डेय ने कहा…

जानकारी के लिए धन्यवाद , मैंने तो सुना था की वैज्ञानिक इस तरह से शीतल प्रकाश भी उत्पन्न करना चाह रहे हैं ताकि उर्जा की खपत कर हो जाए

बेनामी ने कहा…

हैलो, यह वाकई दिलचस्प धन्यवाद,

बेनामी ने कहा…

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बेनामी ने कहा…

बच्‍चों तुमने अंधेरी रातों में जुगनूओं को चमकते हुए तो जरूर देखा होगा। रात अंधेरी हो तो जुगनू का बारी-बारी से चमकना और बंद होना रोमांचक और मनोहारी होता है। जुगनू लगातार नहीं चमकते, बल्‍िक एक निश्‍चत अंतराल में ही चमकते और बंद होते हैं। वैज्ञानिक राबर्ट बायल ने सन 1667 में सबसे पहले कीटों से पैदा होने वाली रोशनी की खोज की। जुगनूओं की कुछ प्रजातियों में काफी रोशनी पैदा करती हैं। ऐसी किस्में दक्षिणी अमेरिका और वेस्टइंडीज में पायी जाती हैं।
गौरतलब है कि रोशनी पैदा करने वाले कीटों की करीब एक हजार प्रजातियां खोजी जा चुकी हैं जिनमें कुछ बैक्टीरिया, कुछ मछलियां-कुछ किस्म के शैवाल, घोंघे और केकड़ों में भी रोशनी पैदा करने का गुण होता है, लेकिन इनमें जुगनू सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। जुगनू रात्रिचर होते हैं । हमारे यहां पर पाया जाने वाला जुगनू कोई आधे इंच का होता है। वह पतला और चपटा-सा सिलेटी भूरे रंग का होता है। नर जुगनू में ही पंख होते हैं मादा पंख न होने के कारण उड़ने में असमर्थ होती है। वह उड़ते हुए साथी को रोशनी के चमकने और बुझने की लय की मदद से पहचानती है। मादा चमकती तो है लेकिन किसी स्थान पर बैठी होती है। जुगनु की आंखें बड़ी स्पर्शक लंबे और टांगे छोटी होती हैं। जुगनू जमीन के अंदर या पेड़ की छाल में अंडे देती हैं। इनका मुख्‍य भोजन छोटे कीट और वनस्पति हैं।
जुगनू के शरीर में नीचे की ओर पेट में चमड़ी के ठीक नीचे कुछ हिस्सों में रोशनी पैदा करने वाले अंग होते हैं। इन अंगों में कुछ रसायन होता है। यह रसायन ऑक्सीजन के संपर्क में आकर रोशनी पैदा करता है। रोशनी तभी पैदा होगी जब इन दोनों पदार्थों और ऑक्सीजन का संपर्क हो। लेकिन, एक ओर रसायन होता है जो इस रोशनी पैदा करने की क्रिया को उकसाता है। यह पदार्थ खुद क्रिया में भाग नहीं लेता है। यानी रोशनी पैदा करने में तीन पदार्थ होते हैं। इन बातों को याद रख सकते हैं कि इनमें से एक पदार्थ होता है जो उत्प्रेरक का काम करता है। ऑक्सीजन और रोशनी पैदा करने वाले पदार्थ की क्रिया में उस तीसरे पदार्थ की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण होती है। जब ऑक्सीजन और रोशनी पैदा करने वाले पदार्थ की क्रिया होती है तो रोशनी पैदा होती है।
पुराने जमाने में लोग रोशनी पैदा करने वाले कीटों को पकड़कर अपनी झोपडि़यों में उजाले के लिए उपयोग करते थे। ये लोग किसी छेद वाले बर्तन में जुगनूओं को पकड़ कर कैद कर लेते थे और रात को इन कीटों को रोशनी में अपना काम करते थे। दूसरे युद्ध में जापानी फौजी किसी संदेश या नक्शे को पढ़ने के लिए कीटों से निकलने वाली रोशनी की मदद लेते थे। वे इन कीटों को एकत्र करके रख लेते थे और जब रात को किसी सूचना को पढ़ना होता था तो वे हथेली में उस कीट का चूरा रखकर थूक से गीला करते थे और इस तरह से उन कीटों के चूर्ण से रोशनी निकलती और वे अपना संदेश पढ़ लेते थे। जुगनूओं के अलावा और भी जीव हैं जो रोशनी पैदा करते थे। कुछ बैक्टीरिया कुछ मछलियां कुछ किस्म के शैवाल, घोंघे और केकड़ों में भी रोशनी पैदा करने का गुण होता है। कुछ फफूंद भी चमकने की क्षमता रखती है। लगातार रोशनी पैदा कर कीटों को अपनी ओर आकर्षित करती है। कुकरमुत्ते की एक किस्म होती है जो रात में बड़ी तेजी से चमकती है। जब चमकती है तो ऐसा लगता है कि मानों छतरियों में कोई लेप लगा दिये गये हो।