मंगलवार, 29 नवंबर 2011

क्यों है मूँगफली एक पौष्टिक भोजन? Why peanut is nutritious?

क्यों है मूंगफली एक पौष्टिक भोजन? Why  peanut is nutritious?
'गरीबों का काजू' के नाम से मशहूर मूँगफली काजू से ज्य़ादा पौष्टिक है परन्तु मूँगफली खाने वाले यह नहीं जानते,मूँगफली में सभी पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं। मूँगफली खाकर हम अनजाने में ही इतने पोषक तत्व ग्रहण कर लेते हैं जिन का हमारे शरीर को बहुत फायदा होता है मूँगफली में प्रोटीन,वसा,शर्करा,विटामिन,खनिज,रुक्षांश प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं शोधों से ऐसा पता चला है कि मूँगफली में कैल्शियम और विटामिन डी अधिक मात्रा में होता है मूँगफली में प्रोटीन की मात्रा 25 प्रतिशत से भी अधिक होती हैमूंगफली में विटामिन ई का भंडारण होता है

आधे मुट्ठी मूगफली में 426 कैलोरीज़ होती हैं, 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है, 17 ग्राम प्रोटीन होता है और 35 ग्राम वसा होती है। इसमें विटामिन ई, के और बी6 भी प्रचूर मात्रा में होती है। यह आयरन, नियासिन, फोलेट, कैल्शियम और जि़ंक का अच्छा स्रोत हैं।

तुलनात्मक दृष्टि से मूँगफली का अध्ययन निम्न है,
इसमें प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अण्डो से 2.5 गुना एवं फलो से 8 गुना अधिक होती हैं।
100 ग्राम कच्ची मूँगफली में 1 लीटर दूध के बराबर प्रोटीन होता है । 
250 ग्राम भूनी मूँगफली में जितनी मात्रा में खनिज और विटामिन पाए जाते हैं, वो 250 ग्राम मांस से भी प्राप्त नहीं हो सकता है।
250 ग्राम मूँगफली के मक्खन से 300 ग्राम पनीर, 2 लीटर दूध या 15 अंडों के बराबर ऊर्जा की प्राप्ति आसानी से की जा सकती है।
एक अंडे के मूल्य के बराबर मूँगफलियों में जितनी प्रोटीन व ऊष्मा होती है, उतनी दूध व अंडे से संयुक्त रूप में भी नहीं होती।

मूँगफली  के लाभ :

पौष्टिकता से भरपूर मूँगफली में कैंसर प्रतिरोधी तथा कॉलेस्ट्रॉल कम करने की क्षमता है।

इसका संबंध ह्रदय की बीमारियों को घटाने में भी महत्वपूर्ण है।

कच्ची मूँगफली रोज खाने से नवजातक माताओं के दूध में वृद्धि होती है।

यह पाचन शक्ति को बढ़ाती है।
मूँगफली या उससे निर्मित खाद्य सामग्री के उपयोग से रक्त स्त्राव की बीमारी में आराम मिलता है।

भुनी मूँगफली एण्टीआक्सिडेंट्स का अच्छा स्रोत है।

बिना नमक वाली मूँगफली में मोनोसैचुरेटेड वसा बहुत अधिक मात्रा में होती है और यह स्वस्थ धमनियों के लिए अच्छी होती है। धमनियों को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो रक्त में कालेस्ट्रानल के स्तर को ठीक रखें।

मूँगफली  में विटामिन ई का भंडारण होता है और यह कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा कम करती है।
मूँगफली महिलाओं और पुरूषों में हार्मोन्स के विकास के लिए भी अच्छी  होती है।
शोधों से ऐसा पता चला है कि मूँगफली में कैल्शियम और विटामिन डी अधिक मात्रा में होता है और यह दांतों के स्वास्‍थ्‍य के लिए भी अच्छा होता है।
मूँगफली के बारे में ओर रोचक बाते :

मूँगफली एक अखरोट यानि की नट नहीं है लेकिन एक फली नस्ल से संबंधित जरूर है 
फाइटोस्टेरॉल (phytosterols)
मूँगफली में किसी भी अन्य नट की तुलना में अधिक प्रोटीन, नियासिन, फोलेट और फाइटोस्टेरॉल (phytosterols) पादपरसायन होता है
मूँगफली में अंगूर,अंगूर का रस, हरी चाय, टमाटर, पालक, ब्रोकोली, गाजर से अधिक उच्च एंटीऑक्सीडेंट क्षमता है
मूँगफली  चार प्रकार की होती हैं -रनर, वर्जीनिया, स्पेनिश, और वालेंसिया

मूँगफली  सितंबर और अक्टूबर में नयी आ जाती है

फसल रोपण विधि से लगाई जाती है मूँगफली का विकास चक्र 120 से 160 दिन या पाँच महीने होता है


मूँगफली का मक्खन 
मूँगफली और मूँगफली का मक्खन 30 में अधिक आवश्यक पोषक तत्वों और फाइटोन्युट्रीयेंट्स   phytonutrients होते हैं
मूँगफली स्वाभाविक रूप से कोलेस्ट्रॉल मुक्त हैं
मूँगफली का पौधा मूल रूप से दक्षिण अमेरिका में जन्मा है मूँगफली का पौधा छोटे छोटे पीले फूल पैदा करता है
एक परिपक्व मूँगफली का पौधे में 40 फली (Pods) होती है यानी एक पोधा 40 मूँगफली पैदा करता है
नियासिन (Niacin) एक महत्वपूर्ण विटामिन बी  है जोकि  भोजन को ऊर्जा में परिवर्तित करने में मदद करता है मूँगफली नियासिन का एक बहुत अच्छा स्रोत माना जाता  है
फोलेट (Folate) 
फोलेट (Folate) कोशिका विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसका अर्थ है कि पर्याप्त फोलेट का सेवन गर्भावस्था और बचपन के दौरान जब ऊतक तेजी से बढ़ रहे हैं तब विशेष रूप से महत्वपूर्ण है मूँगफली फोलेट का एक अच्छा स्रोत  है
 एंटीऑक्सिडेंट के रूप में मूँगफली .....
विटामिन ई एक बेहतरीन आहार एंटीऑक्सिडेंट होता है कि आक्सिजनित तनाव,  हानिकारक शारीरिक प्रक्रिया से कोशिकाओं की रक्षा में मदद करता  है
मूँगफली विटामिन ई  का एक अच्छा स्रोत  है

रेशा फाइबर का पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान  है. मूँगफली फाइबर का एक अच्छा स्रोत है

मोनोअनसेचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड दोनों प्रकार की वसा एक स्वस्थ आहार के लिए योगदान स्वरूप है मूँगफली  और मूँगफली के मक्खन के एक बार के आहार में 4.5 ग्राम पॉलीअनसेचुरेटेड वसा और 8 ग्राम मोनोअनसेचुरेटेड वसा शामिल होती है

मूँगफली शरीर में गर्मी पैदा करती है, इसलिए सर्दी के मौसम में ज्यादा लाभदायक है। यह खाँसी में उपयोगी है व मेदे और फेफड़े को बल देती है। 
भोजन के बाद यदि 50 या 100 ग्राम मूँगफली प्रतिदिन खाई जाए तो सेहत बनती है, भोजन पचता है, शरीर में खून की कमी पूरी होती है।
इसे भोजन के साथ सब्जी, खीर, खिचड़ी आदि में डालकर नित्य खाना चाहिए। मूँगफली में तेल का अंश होने से यह वायु की बीमारियों को भी नष्ट करती है। 
सर्दियों में त्वचा में सूखापन आ जाता है। जरा सा मूँगफली का तेल, दूध और गुलाब जल मिलाकर मालिश करें। बीस मिनट बाद स्नान कर लें। इससे त्वचा का सूखापन ठीक हो जाएगा 
मुट्ठीभर भुनी मूँगफलियाँ निश्चय ही पोषक तत्वों की दृष्टि से लाभकारी हैं। 
तो देखा कितने गुण हैं मूँगफली में .....
आओ इसे अपने आहार का एक मुख्य भाग बनाएँ और इस के बेहतरीन गुणों का लाभ उठायें    



रविवार, 25 सितंबर 2011

क्या होता है यूरिक अम्ल ? What is Uric Acid ?

क्या होता है यूरिक अम्ल ? What is Uric Acid ?

विषमचक्रीय ऐमिनो अम्ल
यूरिक एसिड : कार्बन,हाईड्रोजन,आक्सीजन और नाईट्रोजन तत्वों से बना यह योगिक जिस का अणुसूत्र C5H4N4O3.यह एक विषमचक्रीय योगिक है जो कि शरीर को प्रोटीन से एमिनोअम्ल के रूप मे प्राप्त होता है.
प्रोटीनों से प्राप्त ऐमिनो अम्लों को चार प्रमुख वर्गों में विभक्त किया गया है 
1. उदासीन ऐमिनो अम्ल 
2. अम्लीय ऐमिनो अम्ल 
3. क्षारीय ऐमिनो अम्ल 
4. विषमचक्रीय ऐमिनो अम्ल.
यह आयनों और लवण के रूप मे यूरेट और एसिड यूरेट जैसे अमोनियम एसिड यूरेट के रूप में शरीर मे उपलब्ध है.
प्रोटीन एमिनो एसिड के संयोजन से बना होता है। पाचन की प्रक्रिया के दौरान जब प्रोटीन टूटता है तो शरीर में यूरिक एसिड बनता है जब शरीर मे प्यूरीन न्यूक्लिओटाइडों टूट जाती है तब भी यूरिक एसिड बनता है.
प्युरीन क्रियात्मक समूह होने के कारण यूरिक अम्ल एरोमेटिक योगिक होते हैं.
शरीर मे यूरिक अम्ल का स्तर बढ़ जाने की स्तिथि को hyperuricemia कहते हैं. 
हम प्रोटीन कहाँ से प्राप्त करते है और प्रोटीन क्यों जरूरी हो शरीर के लिए ये जानना भी जरूरी हो जाता है अब ? 
मनुष्यों और अन्य जीव जंतुओं के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी आहार है. इससे शरीर की नयी  कोशिकाएँ और नये ऊतक बनते हैं पुरानी कोशिकाओं और उत्तको की टूटफूट की मरम्मत के लिए प्रोटीन बहुत जरूरी आहार है.  प्रोटीन के अभाव से शरीर कमजोर हो जाता है और कईं रोगों से ग्रसित  होने की संभावना बढ़ जाती है। प्रोटीन शरीर को  ऊर्जा भी प्रदान करता है.
वृद्धिशील शिशुओं,बच्चो,किशोरों और गर्भवती स्त्रियों के लिए अतरिक्त प्रोटीन भोजन की मांग ज्यादा होती है परन्तु 25 वर्ष की आयु के बाद कम शारीरिक श्रम करने वाले व्यक्तियों के लिए अधिक मात्रा मे प्रोटीन युक्त भोजन लेना उनके लिए यूरिक अम्लों की अधिकताजन्य दिक्कतों का खुला निमंत्रण साबित होते हैं.
रेड मीट(लाल रंग के मांस)सी फूड, रेड वाइन, दाल, राजमा, मशरूम, गोभी, टमाटर, पालक, मटर,पनीर,भिन्डी,अरबी,चावल आदि के अधिक मात्रा में सेवन से भी यूरिक एसिड बढ जाता है।
उच्च यूरिक एसिड के कारण : 
शरीर में यूरिक ऐसिड बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं
>भोजन के रूप मे लिए जाने वाले प्रोटीन प्युरीन और साथ मे उच्च मात्रा मे शर्करा का लिया जाना रक्त मे यूरिक एसिड की मात्रा को बढाता है.
>कई लोगों मे वंशानुगत कारणों को भी यूरिक एसिड के ऊँचे स्तर के लिए जिम्मेवार माना गया है.
गुर्दे द्वारा सीरम यूरिक एसिड के कम उत्सर्जन के कारण  भी इसका स्तर रक्त मे बढ़ जाता है. 
>उपवास या तेजी से वजन घटाने की प्रक्रिया मे भी अस्थायी रूप से यूरिक एसिड का स्तर आश्चर्यजनक स्तर  तक वृद्धि कर जाता हैं.
>रक्त आयरन की अधिकता भी यूरेट स्तर को बढ़ाती है जिस पर आयरन त्याग यानी रक्तदान से नियंत्रण किया जा सकता है.
> पेशाब बढ़ाने वाली दवाएं या डायबटीज़ की दवाओं के प्रयोग से भी यूरिक ऐसिड बढ़ सकता है.
उच्च यूरिक एसिड के नुकसान :
>इसका सबसे बड़ा नुकसान है शरीर के छोटे जोड़ों मे दर्द जिसे गाउट रोग के नाम से जाना जाता है.
मान लो आप की उम्र 25 वर्ष से ज्यादा है और आप उच्च आहारी हैं रात को सो कर सुबह जागने पर आप महसूस करते है कि आप के पैर और हाथों की उँगलियों अंगूठों के जोड़ो मे हल्की हल्की चुभन जैसा दर्द है तो आप को यह नहीं मान लेना चाहिये कि यह कोई थकान का दर्द है आप का यूरिक एसिड स्तर बड़ा हुआ हो सकता है. तो अगर कभी आपके पैरों की उंगलियों, टखनों और घुटनों में दर्द हो तो इसे मामूली थकान की वजह से होने वाला दर्द समझ कर अनदेखा न करें यह आपके शरीर में यूरिक एसिड बढने का लक्षण हो सकता है. इस स्वास्थ्य समस्या को गाउट आर्थराइट्सि कहा जाता है.
>अगर व्यक्ति की किडनी भीतरी दीवारों की लाइनिंग क्षतिग्रस्त हो तो ऐसे में यूरिक एसिड बढने की वजह से किडनी में स्टोन भी बनने लगता है.
गाउट आर्थराइट्सि गठिया का एक रूप :
 स्रोत: health.howstuffworks.com
गाउट एक तरह का गठिया रोग ही होता है.
जिस के कारण शरीर के छोटे ज्वाईन्ट्स प्रभावित होते .हैं
विशेषकर पैरों के अंगूठे का जोड़ और उँगलियों के जोड़ व उँगलियों मे जकड़न रहती है.
हालाँकि इससे एड़ी, टख़ने, घुटने, उंगली, कलाई और कोहनी के जोड़ भी प्रभावित हो सकते हैं.
 इसमें बहुत दर्द होता है.
जोड़ पर सुर्ख़ी और सूजन आ जाती है और बुख़ार भी आ जाता है. 
यह शरीर में यूरिक ऐसिड के बढ़ने से पैदा होती है. 
(पेशियों में जमा यूरिक एसिड क्रिस्टल, मस्क्युलर रिह्यूमेटिज्म के रूप में सामने आता है, तो जोड़ों के बीच जमा एसिड क्रिस्टल आरथ्राइटिस के रूप में जोड़ों के बीच एसिड क्रिस्टल जमा होने से चलने-फिरने पर चुभने जैसा दर्द और टीस होती है जोड़ों में जकड़न आ सकती है.) 
यह बढ़ा हुआ यूरिक एसिड रक्त के साथ शरीर के अन्य स्थानों मे पहुँच जाता है.
खास तौर पर हड्डियों के संधि भागों मे जाकर रावों के रूप मे जमा होना  शुरू हो जता है.
यह  जन्म देती है साध्य रोग शरीर के छोटे जोड़ों मे दर्द गाउट Gout को. 
जोड़ो मे जमा यूरिक एसिड के क्रिस्टल 
अगर यूरिक ऐसिड बढ़ जाए तो वह बहुत नन्हें-नन्हे क्रिस्टलों के रूप में जमा हो जाता है.
हड्डियों मे ख़ासतौर से जोड़ों के आस पास. 
ये क्रिस्टल बहुत ही धारदार होते हैं. 
जो की जोड़ों की चिकनी झिल्ली में चुभते हैं. 
चुभन और भयंकर दर्द पैदा करते हैं.  
गाउट रोग के कारण जोड़ों को घुमाने या गति उत्पन्न करने में कठिनाई महसूस होती है.
ठंडी या शीत हवाओं के कारण पीड़ा बढ़ जाती है.
इसकी सबसे बड़ी पहचान यह है की इसमें रात में दर्द बढ़ जाता है और सुबह शरीर अकड़ता है.

बढ़ी हुई यूरिक एसिड की मात्रा भविष्य मे कईं अन्य रोगों का कारण बनती है जैसे,
गुर्दे मे पथरी 
मधुमेह (डायबिटीज़)
कार्डियोवस्कुलर रोग
मेटाबोलिक सिंड्रोम
http://www.ehow.com/info_8070243_foods-remove-acid-system.html
बचाव :
>यह प्रयास करें कि अधिक से अधिक मात्रा में पानी पीया जाए, इससे रक्त में मौजूद अतिरिक्त यूरिक एसिड मूत्र  के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है. 
यदि दर्द बहुत ज्यादा है तो दर्द वाले स्थान पर बर्फ को कपडे मे लपेट कर सिंकाई करने से फायदा होता है. 
 खान-पान की आदत बदलें शरीर में जमा अतिरिक्त यूरिक एसिड को उदासीन करने के लिए खानपान में क्षारीय    पदार्थों की मात्रा को बढ़ाना चाहिए। फलोंहरी सब्जियों, मूली का जूस, दूधबिना पॉलिश किए गए अनाज इत्यादि में अल्कली की मात्रा अधिक होती है 
हमें संतुलित आहार लेंना चाहिएकार्बोहइड्रेटप्रोटीन, वसाविटमिन और खनिज सब कुछ सीमित और संतुलित मात्रा में होना चाहिए.आम तौर पर शाकाहारी भोजन(दाल-चावलरोटीसब्जी) संतुलित होता है और उसमें ज्यादा फेर-बदल की जरूरत नहीं होती.
नियमित व्ययाम इस समस्या से बचने का सबसे आसान उपाय है क्योंकि इससे शरीर में अतिरिक्त प्रोटीन जमा नहीं हो पाता.
इस समस्या से ग्रस्त लोगों को नियमित रूप से दवाओं का सेवन करते हुएहर छह माह के अंतराल पर यूरिक एसिड की जांच करानी चाहिए. 
> शाकाहारी बने.
> पोटाशियम युक्त भोजन पर केला नहीं.
> काबू ना आने पर चिकित्सक के परामर्श से दवाईयां लेना ना भूलें. 
खीरे के हरे जूस को इसके निवारण का बेहतर उपाय माना गया है 
देखें यह लिंक 
http://fitlife.tv/how-to-remove-uric-acid-crystalization-in-joints-gout-and-joint-pain/