बचपन में किसी से सुना था की चेयुइंगम पशु चर्बी से बनती है परन्तु ये सच नहीं है |
तो फिर होती क्या है चेयुइंगम ?
इसका चिपचिपा और लिसलिसा सा स्वाद सब को अच्छा लगा,मिठास होने और चबाते ही चले जाने के कारण यह छोटे बड़े सब में बहुत लोकप्रिय हुई | चीकू फल के पेड़ के तने के साथ एक वक्राकार कट बनाने से तने के अंदर से गाढ़ा सफेद रस निकलता है जिसे छोटे बैग में एकत्र करते हैं कारखाने में इस रस को कॉर्न सिरप, ग्लिसरीन, चीनी फ़ूड कलर और स्वादिष्ट बनाने का मसाला के साथ उबला जाता है तो यह मिक्सचर सूख जाता है इसको फैला कर मनचाहे आकार के टुकड़ों में काट कर चेयुइंगम बन जाती है|
बाद में इस सापोडीला चेयुइंगम में बहुत सुधार हुए,डा. सी मैंन ने इस में पैपासीन नाम का एक सुगन्धित पदार्थ मिला कर इसको बाजार का राजा बना दिया सुगन्धित पैपासीन युक्त सापोडीला चेयुइंगम ने कीं सालों तक बाज़ार में राज़ किया |
सापोडीला के राज़ के बाद अब चेयुइंगम गुडा सिपैक प्रजाति के पेडों के गोंद से बनते है
8 टिप्पणियां:
jaankari bahut hi achi lagi.
च्यंगम खाकर ही कमेंट्स कर रहा हूँ .... बढ़िया जानकारी दी है आपने....
अब आई बात समझ में...धन्यवाद ..
चलते -चलते पर आपका स्वागत है
बहोत ही अच्छी जानकारी .........आभार
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Darshan Lal ji,
Many thanks to you.
Regards,
Divya
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पहले के च्युंगम थक कर फेकने पड़ते थे। आज च्युंगम टॉफी की तरह गल जाते हैं। यह किस कंपोजीशन के कारण संभव हुआ है?
bahut hi badiyaa jaankaari di aapne badhaai sweekaren.
ploease visit my blog.thanks.
Thanks for the information
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