रविवार, 31 अक्तूबर 2010

क्यों लगता है हैण्डपम्प का पानी सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा The water from a tube well or a hand pump appears to be cold in summer and ....

क्यों लगता है हैण्डपम्प का पानी सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा ? Why is  water from a tube well or a hand pump Warm in winters
and cold in summer?

एक बच्चे ने मुझ से एक प्रश्न पूछा कि खेत के ट्यूब-वेळ यानी नलकूप का पानी सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा हो जाता है ऐसा क्यूँ और कैसे होता है ?




ठीक यही प्रश्न और विद्यार्थीयों के भी थे कई  अपने नलके (hand pump) को भी चमत्कारी बता रहे थे 
एक बच्चे ने कहा सर जब  हम गर्मियों में दो -तीन मिनट अपने नलके को चला लेते है तो उस में से बहुत ही ठंडा पानी निकलता है 
और जब जब  हमर्दियों में दो -तीन मिनट अपने नलके को चला लेते है तो उस के बाद उस में से बहुत ही गर्म  पानी निकलता है  
 सब की यह जानने की इच्छा थी |
उत्तर ये है कि सर्दियों में बाहर का तापमान नल से निकले पानी के तापमान से कम होता है और गर्मियों में बाहर का तापमान नल से निकले पानी के तापमान से ज्यादा होता है इस तापान्तर के कारण ही हमे  लगता है हैण्डपम्प का पानी सर्दियों में गर्म और गर्मियों में ठंडा
In Winter ,the outside temperature is lower than that the water flowing out of the pump,and therefore,the water is warm. where as in summer,the outside temperature is higher than the temperature the pump,and therefore,it feels cold.         
 एक उदाहरण के द्वारा यह समझाया गया कि 
माना सभी मौसम में 80-120 फीट बोरिंग वाले भूमिगत जल स्रोत का तापमान = 25 डिग्री सेल्सियस  
और माना गर्मियों का दिन का अधिकतम  तापमान = 35 डिग्री सेल्सियस
 और माना सर्दियों का दिन का न्यूनतम/अधिकतम तापमान =12 से 20 डिग्री सेल्सियस
तो अब इस स्थिति में दोनों बार तापमान में लगभग 10-12 डिग्री सेल्सियस का अंतर रहा 
इतना अंतर काफी होता है 
ताप में ठंडा गर्म महसूस करने के लिए  |
हमने एक प्रयोग भी किया,
एक बीकर में ठंडा फ्रीज़ का पानी लिया 
दूसरे बीकर में ताज़ा पानी लिया 
दोनों के तापमान में अंतर = 15 डिग्री सेल्सियस
पहले ठन्डे पानी में हाथ डुबो कर रखा 
फिर वो ही हाथ ताज़े पानी में डाला तो ताज़ा पानी गर्म लगा 
और समझ गए सब अब इस चमत्कार का रहस्य 
नोट :-हमें सर्दियों  में ताज़े (यानी टैंकी के नहीं) पानी से नहाना चाहिए
नोट :- सुझावों का स्वागत है 
सुझावों और लेख मे सुधारों को लेख मे शामिल कर लिया जाएगा | 
सभी चित्र लेख को  और रुचिकर बनाने के लिए गूगल इमेज से लिए गए(साभार)है
   
  
   

शनिवार, 23 अक्तूबर 2010

क्या कारण है रंग बदल लेने का गिरगिट के ? How do chameleons change colours?

क्या कारण है रंग बदल लेने का गिरगिट के ?  How do chameleons change colours?
हम अक्सर सुनते/पढते है कि गिरगिट की तरह रंग बदल गए तुम तो या वो तो गिरगिट से भी तेज रंग बदलता है जी । क्या तुमने कभी सोचा है कि रंग बदलने के पीछे गिरगिट का ही नाम क्यों लिया जाता है। क्या गिरगिट के भीतर रंगों का भण्डार होता है, जो जरूरत के अनुसार कपड़ों की तरह उनका इस्तेमाल करता है कि अपने शत्रु को भांपते ही वह अपना रंग बदल लेता है, जिससे वे अपने दुश्मन की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब हो जाता है।

दरअसल इस प्राणी की त्वचा में एक विशेष गुण होता है। वह गुण होता है उसकी विशेष प्रकार की कोशिकाएं यानी सैल क्रोमाटाफोरस("क्रोमा -टो-फ़ोर्स" क्रोमा शब्द का अर्थ रंग होता है ).
ये सैल क्रोमाटाफोरस दिमाग द्वारा नियंत्रित होती है जब दिमाग यानी मस्तिष्क को संदेश जाता है गिरगिट का दिमाग इन कोशाओं को संकेत भेजता है ,ख़तरा भांप कर ,कोशायें इसी के अनुरूप फैलने सिकुड़ने लगतीं हैं तो ये सैल क्रोमाटाफोरस आपना आकार बदल कर छोटी या बड़ी हो जाती  है
 और पिगमेंट यानि कि रंजक के कारण गिरगिट का रंग बदल जाता है
और वो चारों तरफ के रंग मे घुल मिल कर अपने प्राकृतिक शत्रुओं से अपनी रक्षा कर लेती है
या फिर अपने शिकार को पकड़ने के लिए पत्तों का या स्थानीय रंग धारण करती है   और एक और कारण से भी जैसे  टेम्परेचर के कम या ज्यादा होने पर उसकी त्वचा में उसका असर दिखाई देने लगता है। इसके शरीर से विशेष प्रकार के हार्मोन के निकलने से कोशिकाएं उत्तेजित होने लगती हैं।
गिरगिट की त्वचा में ऊपर से नीचे पीली, भूरी, काली और सफेद रंग के रंजको से भरी कोशिकाएं होती हैं। इंटरमेडिन, एसीटिलकोलिन व एड्रीनेलिन नाम के हार्मोन ही उन कोशिकाओं को उतेजित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। माना जाता है कि पेड़ पर चढ़ने वाले गिरगिट ही अधिक रंग बदलते हैं। और तुम्हें जान कर हैरानी होगी कि वे पेड़-पौधों के वातावरण के अनुसार खुद को ढाल लेते हैं और उसी के अनुसार रंग बदलने में देर नहीं लगाते।
दिलचस्प तथ्य गिरगिट के बारे मे:गिरगिट अकेलापन पसंद करते हैं
जब एक गिरगिट एक शिकारी के समक्ष पड जाता है तो वह अपने पीले धारियों के साथ लाल रंग बदल जाता है जब गिरगिट बीमार होता हैतो उसका रंग पीला हो जाता है क्योंकि अब उस मे रंग बदलने के लिए  ऊर्जा कम होती है

नोट :- सुझावों का स्वागत है
सुझावों और लेख मे सुधारों को लेख मे शामिल कर लिया जाएगा |
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शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

क्या होता है इंटरनेट ? What is Internet ?

क्या होता है इंटरनेट ? What is Internet ?
आज इन्टरनेट का नाम सभी जानते है, ये नाम हमारे लिए नया नहीं रह गया है! आज ये हमारे जीवन का एक हिस्सा बन चुका है! इन्टरनेट से हमारा जीवन कितना सरल हो गया है!
लेकिन सवाल ये उठता है कि इन्टरनेट कहते किसे है?
सूचनाओ और दस्तावेजों के आदान-प्रदान के लिए टी सी पी /आई पी प्रोटोकॉल का उपयोग कर के बनाया गया नेटवर्क जो वर्ल्ड वाइड नेटवर्क के सिद्धांत पर कार्य करता है उसे इन्टरनेट कहते है!
टी सी पी का अर्थ है ट्रांस्मिस्अन कण्ट्रोल प्रोटोकॉल
आई पी का अर्थ है इन्टरनेट प्रोटोकॉल
इन्टरनेट कनेक्शन के प्रकार............
१. अनालोग/ डायल उप
२. आई एस डी एन
३. बी आई एस डी एन
४. डी एस एल
५. केबल
६. वायरलेस इन्टरनेट कनेक्शन/ ब्रोड्बैंड
७. टी १ लाइन
८. टी ३ लाइन
जिस तरह हर सिक्के के दो पहलु होते है उसी तरह इन्टरनेट के भी है!
इसके कई फायदे और नुकसान भी है! अब ये निर्भर करता है इसका उपयोग करने वाले पर की वो अपने अंदर के इंसान को जगाता है या फिर शैतान को.................सबसे पहले हम इन्टरनेट से होने वाले फायदे के बारे में बात करते है!
इन्टरनेट से फायदे:
  • कमुनिकेशन - इन्टरनेट के द्वारा हम काफी दूर बैठे व्यक्ति से बिना किसी अतिरिक शुल्क के घंटो तक बात कर सकते है! सूचनाओ के आदान प्रदान के लिए इ-मेल कर सकते है!
  • जानकारी - किसी भी तरह की जानकारी हम सर्च इंजन के द्वारा कुछ पल में प्राप्त कर सकते है!
  • मनोरंजन - ये हमारी बोरियत खतम करने का सबसे अच्छा माध्यम बनकर उभरा है! संगीत प्रेमियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, संगीत, गेम्स,फिल्म इत्यादि बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के डाऊनलोड कर सकते है!
  • सर्विसिंगइन्टरनेट पर कई तरह की सुविधाए है जैसे कि आनलाइन बैंकिंग, नौकरी खोज,
रेलवे टिकट बुकिंग, होटल रिजर्वेशन इत्यादि सुविधायें घर बैठे मिल जाती है!
  • इ-कामर्स- ये सुविधा बिसिनेस डील और सूचनाओं के आदान-प्रदान से सम्बंधित है!
  • शोसल नेटवर्किंग साईट- आजकल इसका चलन बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है! सेलिब्रिटीस तक इसका अपनी बातों को सभी तक पहुचने के लिए जमकर उपयोग कर रहे है! इसके कई फायदे है! अलग अलग विचारों वाले दोस्त बनते है, जिनसे काफी कुछ सीखने को मिलता है! ये साईट काफी मात्रा में पठनीय सामग्री तक रखे हैं! आज ये अपनी बात दूसरों के सामने रखने का सबसे अच्छा साधन बन रहा है!
इन्टरनेट से नुक्सान:
  • व्यक्तिगत जानकारी की चोरी- व्यक्तिगत इन्फर्मेशन की चोरी के कई मामले सामने आये है जैसे की क्रेडिट कार्ड नम्बर, बैंक कार्ड नम्बर इत्यादि की चोरी! इसका उपयोग देश की सुरक्ष्हा व्यवस्था को भेदने के लिए भी किया जाता है
  • स्पामिंग- ये अवांछनीय ई-मेल होती है जिनका मकसद गोपनीय दस्तावेजों की चोरी करना होता है!
  • वायरस- इनका उपयोग कंप्यूटर की कार्य प्रणाली को नुक्सान पहुचाने के लिए किया जाता है!
  • पोरोनोग्रफी- ये इन्टरनेट मे जहर की तरह है! जिसमे कई लोग समाते चले जाते है! इस तरह की साईट पर ढेरो अश्लील सामग्री रहती है,जिनको देखकर लोग बर्बादी की तरफ अग्रसर हो रहे है और इस तरह का व्यपार चलाने वाले अच्छी आमदनी कर रहे है! ये हमारे समाज में जहर की तरह घुल रहा है! बच्चे इसको देखकर बर्बाद हो रहे है जिससे वो कई तरह के अपराध कर डालते है छोटी सी उम्र में ही जिसका परिणाम बेहद ही खतरनाक होता है! इसे रोकने के लिए सख्त नियम बनने चाहिए!
  • पाइरेसी- इससे काफी नुकसान हो रहा है आई.टी. जगत और फिल्म नगरी को! कोई भी सॉफ्टवेर या  मूवी हो इस पर बिना कोई कीमत दिए मुफ्त में मिल जाता है, तो फिर कोई पैसे क्यों लगाये, ये तभी रुक सकता है जब सरकारें ऐसी वेबसाइटस पर ही पाबन्दी लगा दे अन्यथा ये कभी रुकने वाली नहीं है!
" जिस प्रकार सागर मंथन से विष और अमृत दोनों निकले थे, ठीक उसी प्रकार इन्टरनेट पर भी ये दोनों ही है, अब ये उपयोगकर्ता पर निर्भर करता है की वो क्या लेता है विष या अमृत! इन्टरनेट से अगर आप बन सकते है तो बिगड भी सकते है! जिस तरह एक सिक्के के दो पहलु होते है उसी तरह इन्टरनेट के भी है इसलिए अच्छा वाला ग्रहण किया जाये और बुरा वाला त्याग किया जाये, ये हमारे और हमारे देश दोनों के लिए अच्छा है! ’’
लेख: महिंद्र गौर,दर्शन लाल बवेजा  
चित्र गूगल इमेज से साभार 

शनिवार, 9 अक्तूबर 2010

क्या होता है बवंडर ? what is Tornado?

क्या होता है बवंडर ? what is Tornado?
बवंडर(Tornado) एक विनाशकारी चक्रवातीय,खतरनाक हवा का घूर्णन स्तंभ है यह एक पाईपनुमा हवा का घूर्णन स्तंभ है जो  की पृथ्वी और तूफानी बादलों(cumulonimbus,क्यूम्यलोनिम्बस) के सम्पर्क से बनता है व कई बार मेघपुंज बादल cumulus cloud और आधार(पृथ्वी) के साथ संपर्क में भी बनता देखा गया है|

"आमतौर पर बवंडर को अमेरिका के कुछ निश्चित क्षेत्रों में देखा जाता है। यह भारत में भी कभी कभार नजर आ जाता है|  बवंडर हवा के भारी दबाव और बादलों के कई तह से बनता है। पानी/धूल मिटटी  की धारनुमा लकीर आसमान से बनती है और जमीन पर से पानी/धूल मिटटी  ऊपर की तरफ खींचती है।"



यदि  टोर्नाडो की संकीर्ण सिरे की तरफ कोई पानी का तालाब,झील या नदी आ जाये तो पानी ऊपर खिचने लगता है और आस पास बूंदों के रूप मे बरसने भी लगता है |
 बवंडर कई आकारों में आते हैं लेकिन कीप के रूप का जिसका संकीर्ण अंत  पृथ्वी छूता है और वृहद अंत मलबे और धूल से भरा बादल की तरफ होता है|
ज्यादातर बवंडर(Tornado) की पवन गति 40 मील प्रति घंटा(64 किमी/घ) और 110 मील प्रति घंटा(177किमी/घ),औरचोड़ाई250 फीट(75 मीटर) के लगभग होती है| बवंडर बनने के बाद खत्म होने से पहले कई किलोमीटर तक चलता है |
हालांकि बवंडर tornadoes अंटार्कटिका को छोड़कर हर महाद्वीप पर आते है ज्यादातर संयुक्त राज्य अमेरिका में होते हैं इसके अलावा दक्षिणी कनाडा,दक्षिण मध्य और पूर्वी एशिया, पूर्वी मध्य दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी अफ्रीका, उत्तर पश्चिमी और दक्षिण पूर्वी यूरोप, पश्चिमी और दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड मे आते है |
यू ट्युब से बवंडर का एक असली वीडियो आप के लिए है देखे, 

बवंडर की वजह से टनों उपजाऊ मिट्टी भी उड़ जाती है |
अभी  कुछ दिन पहले मैंने दैनिक भास्कर अखबार मे खबर पढ़ी थी 
अमेरिका में एक भयानक बवंडर ने एक पूरे के पूरे घर को ही जमीन से उखाड़ कर 50 फिट दूर फेंक दिया। अच्छी बात यह रही कि इस घर में रह रहा दंपति बवंडर के समय घर में नहीं था और उनकी जान बच गई।
मिनेसोटा में रहने वाले बाब और लॉरेल हेंसन को जब घर के दक्षिण में बवंडर के होने की खबर मिली तो उन्होंने शहर के शरणार्थी कैंप में शरण ले ली।
जब वो घर लौटे तो देखा कि उनका घर अपनी नींव से 50 फिट दूर पड़ा है। कल रात आए इस भयानक तूफान में मिनेसोटा में कम से कम दो लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। इन भयानक बवंडर ने घरों और पेड़ों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया।
बवंडरों  के आने के कारण :-

बवंडर(Tornado)तब बनते है जब अलग अलग तापमान और आर्द्रता के दो द्रव्य Masses का निलंब होता है| अगर वातावरण की निचली परते अस्थिर हैं तो गर्म हवा की एक मजबूत उर्ध्व हलचल बनेगी, बवंडर(Tornado)तब भी बनते है जब गर्म हवा एक दिशा से आती है और ठंडी हवा दूसरी दिशा से आती है|
सूर्य  के ताप से गर्म हवा ऊपर उठती है और ठन्डे बादलों मे जाती है तो तेजी से ऊपर उठती है और घूमने लग जाती है 
इन  लिंक्स  पर जा कर Next पर क्लिक करने पर आप एक दम जान जायेंगे कि बवंडर(Tornado)कैसे बनता है 
Play पर क्लिक करो
एक  दूसरा Animated Tornado देखे
क्या बचाव के तरीके है ?
क्या करें जब बवंडर की स्थिति चल रही हो ?
घर या इमारत के तहखाने मे चले जाएँ|
बवंडर से बचने के लिए चिमनी और खिड़कियों की तरफ ना जाएँ|
किसी मजबूत फिक्स फर्नीचर नीचे चले जाओ|
कार को रोक कर बाहर निकल कर कोई सुरक्षित जगह ढूंढों या फिर जमीन पर लेट जाओ|
चित्र गूगल इमेज से साभार


शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

शहद क्या है ये जाने आज ? What is Honey ?

शहद क्या है ये जाने आज ? What is Honey ?
आज  कल आयातित  शहद बहुत चर्चा मे है तो आज शहद के बारे मे ही जाना जाए कि क्या होता है शहद ?honey bee -0
आज से हजारों वर्ष पहले  से ही दुनिया  के सभी  चिकित्सा शास्त्रों ,धर्मशास्त्रों, वैधों-हकीमों, ने शहद की उपयोगिता व महत्व को बताया है। आयुर्वेद के ऋषियों  ने भी माना है कि तुलसी व मधुमय पंचामृत का सेवन करने से संक्रमण  नहीं होता और इसका विधिवत ढंग से सेवन कर अनेक रोगों पर विजय पाई जा सकती है।
 शहद को शहद की मक्खियां Honey Bee  बनाती है इनका जो घर होता है उस को छत्ता कहते है इन छत्तों मे मधुमक्खियाँ रहती है
          honey bee -2 honey bee -1
मधुमक्खियों के जीवन की 4अवस्थाये  अंडा ,लार्वा , प्यूपा ,वयस्क मक्खी  होती है |ये मधुमक्खियाँ निम्न  प्रकार की होती है |1.श्रमिक 2.नर 3.रानी
मधु या शहद एक मीठा, चिपचिपाहट वाला अर्ध तरल पदार्थ होता है जो मधुमक्खियों द्वारा पौधों के पुष्पों में उपस्थित  मकरन्द के कोशों से निकलने वाले  मकरंद जिसे नेक्टर नाम का रस भी कहते है  से तैयार किया जाता है और आहार के रूप में छत्ते की कोठियों मे संग्रह किया जाता है। शहद मैं जो मीठापन होता है वो मुख्यतः ग्लूकोज़ और  फ्रक्टोज शुगर के कारण होता है। शहद का प्रयोग औषधि रूप में भी होता है। शहद में ग्लूकोज व अन्य शर्कराएं तथा विटामिन, खनिज और अमीनो अम्ल भी होता है जिससे कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं जो घाव को ठीक करने और उतकों के बढ़ने के उपचार में मदद करते हैं। प्राचीन काल से ही शहद को एक जीवाणु-रोधी के रूप में जाना जाता रहा है। शहद एक हाइपरस्मॉटिक एजेंट होता है जो घाव से तरल पदार्थ निकाल देता है और शीघ्र उसकी भरपाई भी करता है और उस जगह हानिकारक जीवाणु भी मर जाते हैं। जब इसको सीधे घाव में लगाया जाता है तो यह सीलैंट की तरह कार्य करता है और ऐसे में घाव संक्रमण से बचा रहता है।
मधुमक्खी के पेट मे एक थैलीनुमा संरचना होती है जो एक वाल्व से जुडी होती है मधुमक्खी फूलों से मकरंद चुस्ती है और इस थैली मे एकत्र करती रहती है और छत्ते मे आकर इस रस को वाल्व के दवारा मधुकोशों मे उगल देती है और मकरंद मे जो पानी होता है वो वाष्पीकरण के द्वारा उड़ जाता है और बाकी पदार्थ रासायनिक क्रिया के फलस्वरूप शहद मे बदल जाता है |
honey bee -3
शहद इकठ्ठा करने के लिए मधुमक्खियों को बहुत ही परिश्रम करना पड़ता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मधुमक्खियां अपने छत्ते के सभी खानों को महीनों में भर पाती हैं, लेकिन मनुष्‍य है कि देखते-देखते उनके परिश्रम को नष्‍ट करके अपना भला कर लेता है। सचमुच इस क्षेत्र में मनुष्‍य बड़ा ही स्वार्थी व लोभी है।मधुमक्खी के फूलों पर बैठने से परागण जैसी महत्वपूर्ण क्रिया सम्पन्न हो जाती है और मधुमक्खियों को बदले मे मिला मीठा रस जो की वो अपने और अपने बच्चों के लिए सुरक्षित रखती है को ही मनुष्य और अन्य जीव  खाते है शहद मे बहुत से पोषक तत्व होते है जैसे 
फर्कटोज़ ३८.२%, ग्लूकोज़: ३१.३%,सकरोज़: १.३%,माल्टोज़: ७.१%,जल: १७.२%,उच्च शर्कराएं: १.५%,भस्म: ०.२%,अन्य : ३.२%
वास्तव  मे शहद मधुमक्खियों के बच्चों और उन का भविष्य का संचित आहार है मनुष्य व जानवरों बंदर और भालू आदि ने शहद को अपने आहार मे शामिल कर लिया है इसे पंजाबी भाषा मे माख्यों भी कहा जाता है यह शहद यदि सूक्ष्मदर्शीय अध्ययन से गुज़ारे तो हमे इस के अंदर परागकण भी दीखते है शहद के लिए यदि मधुमक्खियाँ गन्ने के रस पर बैठे तो रस से बना शहद सर्दियों मे जम जाता है उस मे शूगर की मात्रा ज्यादा होगी |मधु एक ऊष्मा व ऊर्जा दायक आहार है तथा दूध के साथ मिलाकर यह सम्पूर्ण आहार बन जाता है। इसमें मुख्यतः अवकारक शर्कराएं, कुछ प्रोटीन, विटामिन तथा लवण उपस्थित होते हैं। शहद सभी आयु के लोगों के लिए श्रेष्ठ आहार माना जाता है और रक्त में हीमोग्लोबिन निर्माण में सहायक होता है।एक किलोग्राम शहद से लगभग ५५०० कैलोरी ऊर्जा मिलती है। एक किलोग्राम शहद से प्राप्त ऊर्जा के तुल्य दूसरे प्रकार के खाद्य पदार्थो में ६५ अण्डों, १३ कि.ग्रा. दूध, ८ कि.ग्रा. प्लम, १९ कि.ग्रा. हरे मटर, १३ कि.ग्रा. सेब व २० कि.ग्रा. गाजर के बराबर हो सकता है।
आजकल चीन से आयातित शहद और मुनाफा कमाने मे अंधी कम्पनीयों के एक घपले को उजागर किया गया है जिसमे सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (C.S.E.)  के शोध के अनुसार बाजार में बिक रहे बड़ी-बड़ी कम्पनीयों के शहद में प्रतीजैवीक एंटी-बायोटिक्स  की मात्रा अंतर्राष्ट्रीय मानकों से दोगुना तक मिली है। ऐसे शहद को अगर लगातार  खाया जाता है तो हमारे शरीर के एंटी बायटिक के प्रति रजीस्ट बनने का खतरा हो जाएगा। और बिना जरूरत के इन प्रतीजैवीक पदार्थों के शरीर मे जाने से जो  साइड इफेक्ट्स होंगे वो भी खतरनाक होंगे | इनके दवारा जांचे गए शहद में एजिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लॉक्सेसिन और  ऑक्सीटेट्रासाइक्लिन, क्लोरैंमफेनिकल, एंफीसिलीन आदि प्रतिजैविक पदार्थ पाए गए| यह प्रतीजैवीक शहद मे आते कहाँ से है जब मधु पालन के छत्तों मे इनको बीमारी से बचने के लिए इन प्रतिजैविक  का प्रयोग कियाजाता है तब ये शहद मे आते है ठीक उसी प्रकार जैसे गाय भैंस को बीमार होने पर प्रतिजैविक  का  कोर्स दिया जाता है तो उनके दूध मे भी प्रतिजैविक  का असर आ जाता है इस दूध को पीने  वाले के शरीर मे अनायास ही ये एंटीबायोटिक चले जाते है और हानि करते है |

आज  श्री प्रकाश गोविन्द जी ने शहद के बारे मे निम्न लिखित प्रश्न पूछे यदि कोई सुधिजन इनका जवाब देना चाहे तो कमेन्ट कर दे उत्तर प्रश्न के साथ प्रकाशित कर दिया जाएगा ताकि और लोगो जी का भी ज्ञान बढ़ सके | 
मैंने जब शहद के बारे में आपकी पोस्ट देखी तो बालसुलभ कई जिज्ञाशाएं थीं ...जैसे :
१-  जो लोग शहद के लिए मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करते हैं उन्हें मधुमक्खी क्यों नहीं काटती ?

Ankit.....................the real scholar ने कहा…  
जो लोग मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करते हैं 
वह  शहद निकलते हुए विशेष कपडे पहनते हैं 
जिसके कारण मधुमक्खी उनको काट नहीं पाती हैं
इसी  समय में शायद पालनकर्ता उनके स्वभाव  को जनता है
तथा कोई ऐसा काम ही नहीं करता है
की मधुमक्खी को काटने की जरूरत पड़े |
२- रानी मधुमक्खी क्या होती है ? क्या लोगों का कहना सही है कि अगर रानी मधुमक्खी को पकड़ लो तो कोई मधुमक्खी नहीं काटेगी ?

उत्तर : रानी मधुमक्खी आकार मे सबसे बड़ी होती है एक छत्ते मे एक ही या ज्यादा होती है ये अंडे देती है जिन अण्डों को नर निषेचित करते है यदि रानी मधुमक्खी को पकड़ ले तो शाही सैनिक और श्रमिक मक्खियाँ आक्रमण कर देंगी परन्तु  छत्ते मे रानी मधुमक्खी को ढूँढना आसान काम नहीं है|  



३- शुद्ध शहद कैसा होता है ?  शुद्ध शहद की पहचान कैसे कर सकते हैं ?
उत्तर : शुद्ध शहद को जब धार बना कर छोड़ा जाता है तो वह सांप की तरह कुंडली बना कर गिरता है जबकि नकली फ़ैल जाता है  | 
and 
Add a tablespoon of honey into the water. If the honey is impure, it will dissolve in the water at top layer - the most common additive to honey is syrup of jaggery, which dissolves.
If it is pure, the honey will stick together and sink as a solid lump to the bottom of the glass.
  

 
४- मधुमक्खी के एक छत्ते में कितना शहद निकलता है  और पूरा भरा हुआ छत्ता कितने दिन में बन जाता है ?

उत्तर: प्राकृतिक छत्ते का तो पता नही,लेकिन मैंने एक मधुमक्खी पालक से पूछा तो उस ने बताया की यह दो बातों पर निर्भर करता है 
1.फूलों की उपलब्धता पर,वर्ष के सभी महीनों मे फूलों की उपलब्धता एक समान नहीं होती है|
2.मौसम  की अनुकूलिता पर,अनुकूल मौसम यानी उस स्थान का जहां  मधुमक्खी पाली गयी है |
वैसे उस ने बताया की यहाँ जहां उस ने पाली है वहाँ वह  साल मे ३-३ महीनों मे दो बार यील्ड लेता है |   
५- क्या आँखों के लिए शहद बेहद लाभदायक होता है ? ...रामदेव जी तो यही कहते हैं !

उत्तर : नहीं एलोपेथिक डाक्टर नहीं मानते मैंने पूछा है |
साभार : नवभारत टाइम्स,विकिपीडिया,गूगल इमेज
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