हमें आकाश नीला क्यूँ दिखाई पड़ता है?
पृथ्वी की सतह (जमीन) से ऊपर वायुमंडल है वायुमंडल मे विभिन्न गैसे है धूलकण और जलवाष्प भी है और सूर्य का प्रकाश सात रंगों से मिल कर बना है इन सात रंगों को बैनीआहपीनाला VIBGYOR लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला, तथा बैंगनी के नाम से याद रख सकते है। वायुमंडल ज्यादातर गैसों (78%) नाइट्रोजन, और ऑक्सीजन (21%) से मिल कर बना है.इसके अलावा आर्गन गैस और भाप (बूंदों और बर्फ के क्रिस्टल) के रूप में पानी उपलब्ध है इनके अलावा अन्य गैसों की थोड़ी मात्रा, धूल कण , काजल और राख, परागकण , महासागरों से नमक की तरह कई छोटे ठोस कण भी वायुमंडल मे उपस्थित है।
बिखरने वाले रंगों मे बैंगनी,आसमानी रंग,नीला सबसे ज्यादा Scatter बिखरते है और लाल रंग सब से कम बिखरता है ऐसा Rayleigh scattering रेले स्केट्रिंग के कारण होता है यही तीनों रंग हमारी आँखों तक सब से ज्यादा पहुँचते है इन तीनो रंगों का मिश्रण नीले रंग के सदृश्य बनता है।
पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर यानि अंतरिक्ष मे आकाश दिखता है नीले रंग के बजाय काला और घुप्प अँधेरा, यह इसलिए है क्योंकि वहाँ कोई वायुमंडल नहीं है है। कोई बिखरा हुआ प्रकाश नहीं है जो हमारी आँखों तक पहुंचे।
नोट :- सुझावों का स्वागत है।
सुझवों और लेख मे सुधारों को लेख मे शामिल कर लिया जाएगा।
9 टिप्पणियां:
बढियां ब्लॉग ,अच्छी शुरुआत ...ज्ञान विज्ञान की ऐसी कई बातें लोगों की प्रकृतिविषयक अनेक शंकाओं /कौतूहल के निवारण में उपयोगी है !
@दर्शन लाल जी ,
इस नए ब्लॉग के लिए आपको बहुत-२ बधाई एवं शुभकामनायें ,मुझे पूरी उम्मीद है की आपका ये ब्लॉग भी आपके पिछले ब्लॉग की तरह उमीदों पर खरा उतरेगा
धन्यवाद
महक
बहोत ही अच्छी शुरुआत गुरुदेवजी ...........वास्तव में यह ब्लॉग भी आपके पहले वाले ब्लॉग की तरह जानकारीयों का सहज व सरल शब्दों मे खजाना रहेगा..............ढेरों शुभकामनाएँ
बहुत अच्छी जानकारी । यह ज़्यादा से ज़्यादा लोगो तक पहुंचना ज़रूरी है ।
धरती के चारों ओर वायुमंडल है। यानी हवा है जिसमें कई तरह की गैसों के मॉलीक्यूल और पानी की बूँदें या भाप है। गैसों में सबसे ज्यादा करीब 78 फीसद नाइट्रोजन है और करीब 21 फीसद ऑक्सीजन। इसके अलावा आरगन गैस और पानी है। इसमें धूल, राख और समुद्री पानी से उठा नमक वगैरह है। हमें अपने आसमान का रंग इन्ही चीजों की वजह से आसमानी लगता है। दरअसल हम जिसे रंग कहते हैं वह रोशनी है। हम जानते हैं कि रोशनी वेव्स या तरंगों में चलती है। हवा में मौजूद चीजें इन वेव्स को रोकती हैं। जो लम्बी वेव्स हैं उनमें रुकावट कम आती है। वे धूल को कणों से बड़ी होती हैं। यानी रोशनी की लाल, पीली और नारंगी तरंगें नजडर नहीं आती। पर छोटी तरंगों को गैस या धूल के कण रोकते हैं। और यह रोशनी टकराकर चारों ओर फैलती है। रोशनी के वर्णक्रम या स्पेक्ट्रम में नीला रंग छोटी तरंगों में चलता है। यही नीला रंग जब फैलता है तो वह आसमान का रंग लगता है।
हमारे वायुमंडल का निचला हिस्सा ज्यादा सघन है। आप दूर क्षितिज में देखें तो वह पीलापन लिए होता है। कई बार लाल भी होता है।
आसमान का रंग तो काला होता है। रात में जब सूरज की रोशनी नहीं होती वह हमें काला नजर आता है। हमें अपना सूरज भी पीले रंग का लगता है। जब आप स्पेस में जाएं जहाँ हवा नहीं है वहाँ आसमान काला और सफेद सूरज नजर आता है।
plz tell me.....role of chance discovery??????
Physics ki satik jankari mili
jo book se kuchh alag hai...
Thanks
aap hmare sath facebook pe bhi join kar sakte hai
facebook.com/
Chaudhary Sangharsh Yadav
name se mere sath jud sakte hai.....
Bahut satik jankari ye website se mil rahi hai....
Thanks
Very nice blok
एक टिप्पणी भेजें