वन/पेड़ वर्षा कराने मे सहायक होते है How does trees help in raining?
किताबों मे पड़ते है की पेड़ वर्षा करवाने मे सहायक होते है जहा वन होते है या पेड़ अधिक होते है वहाँ वर्षा भी अधिक होती है !
और अधिक से अधिक पेड़ लगाने को क्यों कहा जाता है बार बार
पेड़ हमें आक्सीजन गैस देते है और साथ ही साथ मे पेड़ वर्षा करवाने मे सहायता भी करते है |
आओं जाने कैसे ?
पेड़ पौधे दो क्रियाएँ मुख्यतः करते है।
1.प्रकाश-संश्लेषण PHOTOSYNTHESIS-भोजन तैयार करना
2.वाष्पोत्सर्जन TRANSPIRATION-इस प्रक्रिया मे पौधे अपने मे संग्रहीत अतिरिक्त पानी की मात्रा को जल वाष्पों के रूप मे वायुमंडल मे छोड़ते रहते है।
पत्तों मे एक संरचना जिसको रंध्र Stomata कहते है रंध्र पत्तों में असंख्य होते है रंध्रो मे से पौधों का अतिरिक्त पानी जल वाष्पों के रूप मे वातावरण मे निकलता रहता है। यह जल वाष्प वायु मंडल मे ऊपर एकत्र हो कर और फिर संघनित Condense वर्षा बनती है और बरसती है या फिर वायुमंडल को ठण्डा करती है और इस ठन्डे वातावरण से गुजरते बादल वहीँ पर संघनित हो कर बरस जाते है।
अब समझे क्यों सब बच्चों को बार बार पेड़ लगाने के लिए कहते है ?
वाष्पोत्सर्जन TRANSPIRATION को जरा और जान लो :- पौधों द्वारा अनावश्यक जल को वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है। पैड़-पौधे मिट्टी से जिस जल का अवशोषण करते हैं जड़े निरंतर पानी का अवशोषण करती रहती है (बाएं चित्र रंध्र के है) परन्तु
उसके केवल थोड़े से अंश का ही पादप शरीर में उपयोग होता है। शेष अधिकांश जल पौधों द्वारा वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकाल जाता है। पौधों में होने वाली यह क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है। वाष्पोत्सर्जन की दर को एक यन्त्र द्वारा मापा जा सकता है। इस यन्त्र को पोटोमीटर कहते हैं।
नोट :- सुझावों का स्वागत है सुझावों और लेख मे सुधारों को लेख मे शामिल कर लिया जाएगा।
सभी चित्र लेख को रुचिकर बनाने के लिए गूगल इमेज से लिए गए(साभार)है।
किताबों मे पड़ते है की पेड़ वर्षा करवाने मे सहायक होते है जहा वन होते है या पेड़ अधिक होते है वहाँ वर्षा भी अधिक होती है !
और अधिक से अधिक पेड़ लगाने को क्यों कहा जाता है बार बार
पेड़ हमें आक्सीजन गैस देते है और साथ ही साथ मे पेड़ वर्षा करवाने मे सहायता भी करते है |
आओं जाने कैसे ?
पेड़ पौधे दो क्रियाएँ मुख्यतः करते है।
1.प्रकाश-संश्लेषण PHOTOSYNTHESIS-भोजन तैयार करना
2.वाष्पोत्सर्जन TRANSPIRATION-इस प्रक्रिया मे पौधे अपने मे संग्रहीत अतिरिक्त पानी की मात्रा को जल वाष्पों के रूप मे वायुमंडल मे छोड़ते रहते है।
पत्तों मे एक संरचना जिसको रंध्र Stomata कहते है रंध्र पत्तों में असंख्य होते है रंध्रो मे से पौधों का अतिरिक्त पानी जल वाष्पों के रूप मे वातावरण मे निकलता रहता है। यह जल वाष्प वायु मंडल मे ऊपर एकत्र हो कर और फिर संघनित Condense वर्षा बनती है और बरसती है या फिर वायुमंडल को ठण्डा करती है और इस ठन्डे वातावरण से गुजरते बादल वहीँ पर संघनित हो कर बरस जाते है।
वाष्पोत्सर्जन TRANSPIRATION को जरा और जान लो :- पौधों द्वारा अनावश्यक जल को वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकालने की क्रिया को वाष्पोत्सर्जन कहा जाता है। पैड़-पौधे मिट्टी से जिस जल का अवशोषण करते हैं जड़े निरंतर पानी का अवशोषण करती रहती है (बाएं चित्र रंध्र के है) परन्तु
उसके केवल थोड़े से अंश का ही पादप शरीर में उपयोग होता है। शेष अधिकांश जल पौधों द्वारा वाष्प के रूप में शरीर से बाहर निकाल जाता है। पौधों में होने वाली यह क्रिया वाष्पोत्सर्जन कहलाती है। वाष्पोत्सर्जन की दर को एक यन्त्र द्वारा मापा जा सकता है। इस यन्त्र को पोटोमीटर कहते हैं।
नोट :- सुझावों का स्वागत है सुझावों और लेख मे सुधारों को लेख मे शामिल कर लिया जाएगा।
सभी चित्र लेख को रुचिकर बनाने के लिए गूगल इमेज से लिए गए(साभार)है।
2 टिप्पणियां:
बहोत ही अच्छी जानकारी....धन्यवाद
I understand it in simply way.Thanks a lot .
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